
भोपाल। कांग्रेस में नामांकन और दावेदारों की सूची जारी कर संगठन के चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी गई है। प्रदेश के कई विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के विरोध के बावजूद चुनाव हो रहे हैं। दरअसल चुनाव प्रक्रिया करवाना कांग्रेस संगठन की मजबूरी बन गई है। अगर प्रक्रिया स्थगित हुई तो पार्टी को करोड़ों रुपए कार्यकर्ताओं को लौटाना होंगे। मध्यप्रदेश में युवा कांग्रेस की चुनाव प्रक्रिया तीन साल पहले शुरू हुई थी। उस समय शहर, जिले से लेकर प्रदेश के पदों के दावेदारों को चुनाव जीतने के लिए ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने थे। हर सदस्य के साथ सदस्यता शुल्क भी जमा करना था। इसके साथ ही पद के दावेदारों को प्रक्रिया में भाग लेने के लिए नामांकन शुल्क भी जमा करना था। चुनावी होड़ में प्रदेश के तमाम दावेदारों ने लाखों सदस्यों को बनाया। मप्र से सदस्यता शुल्क के रूप में करीब 6 से 7 करोड़ रुपए पार्टी के खजाने में जमा भी करवाए गए। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया हो जाती लेकिन 2018 में विधानसभा चुनाव के कारण प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। बाद में लोकसभा चुनाव का दौर आ गया और एक बार फिर युवा कांग्रेस के चुनाव नहीं हुए। तब से अब तक युवक कांग्रेस के चुनाव अटके हुए है।
चुनाव स्थगित करने की मांग
अब आने वाले पंचायत और निगम चुनाव को देखते हुए कांग्रेस विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने चुनाव स्थगित करने की मांग की है। हालांकि केंद्रीय कांग्रेस समिति ने प्रक्रिया जारी रखी है। दरसल कांग्रेस की मजबूरी बन गई है कि अब वह चाह कर भी संगठन के चुनाव निरस्त नहीं कर सकती। कांग्रेस को डर है कि प्रक्रिया घोषित करने के साथ तीन साल पहले प्रदेश से करोड़ों रुपये का सदस्यता शुल्क लिया जा चुका। यदि चुनाव नहीं हुए तो सदस्यता शुल्क लौटना होगा। वरना संगठन को कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस अब कैसे भी चुनाव करवाकर प्रक्रिया को खत्म करना चाहती है। संगठन चुनाव पर जारी विरोध और विवाद से यह भी तय मान लिया गया है कि चुनाव के जरिए पदाधिकारियों के चयन की प्रकिया का ये आखिरी मौका है। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया खत्म कर संगठन फिर से नामांकन और बिना चुनाव के नियुक्तियों के पुराने सिस्टम पर लौट आएगा।
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