
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आवेदन करने वाले आवेदक को मांगी गई जानकारी हासिल करने का उद्देश्य बताया होगा। इससे साफ हो जाएगा कि आवेदक को जानकारी क्यों चाहिए और साथ ही उन लोगों से अन्याय होने से रोक लगेगी जिनके बारे में जानकारी मांगी जा रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत सूचना मांगने को लेकर महत्वपूर्ण बात कही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि के तहत आवेदन करने वाले आवेदक को मांगी गई जानकारी हासिल करने का उद्देश्य बताया होगा। इससे साफ हो जाएगा कि आवेदक को जानकारी क्यों चाहिए और साथ ही उन लोगों से अन्याय होने से रोक लगेगी जिनके बारे में जानकारी मांगी जा रही है।
सीआईसी के आदेश को रखा बरकरार : जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने अपने हाल के आदेश में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें राष्ट्रपति भवन के प्रेसिडेंट एस्टेट्स में निर्धारित पद पर नियुक्ति को लेकर आरटीआई के जरिये आवेदक की तरफ से सूचना मांगी गई थी। अदालत ने कहा कि कोर्ट की यह राय है कि जब भी आरटीआई के तहत सूचना मांगी जाती है तो सूचना मांगने वाले के हित सामने आना चाहिए।
आवेदक पर 25 हजार का जुर्माना : इससे उसकी नेकनीयत का भी पता लगेगा। ऐसा नहीं करना उन लोगों के साथ अन्याय हो सकता है जिनके बारे में सूचना मांगी जा रही है। अदालत ने इस मामले में आवेदक हर किशन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस मामले की सुनवाई के दौरान पता चला कि आरटीआई के माध्यम से जिस व्यक्ति ने जानकारियां मांगी थी, उसकी अपनी बेटी ने भी राष्ट्रपति सचिवालय में मल्टी टास्किंग स्टाफ की पोस्ट पर अप्लाई किया था। लेकिन उसका सेलेक्शन नहीं हुआ था।
सीआईसी ने व्यक्तिगत जानकारी देने से किया था इनकार : हरकिशन ने आरटीआई के जरिये राष्ट्रपति भवन में नियुक्तियों संबंधी जानकारी मांगी थी। इस पर सीआईसी की तरफ से कुछ जानकारी दी गईं लेकिन कुछ व्यक्तिगत जानकारी देने से इनकार कर दिया। इस पर आवेदन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि सीआईसी ने बिना किसी आधार के जानकारी देने से इनकार किया। याचिकाकर्ता ने अपने बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी।
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