
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Former Prime Minister Imran Khan) ना सिर्फ जिंदा हैं बल्कि ठीक हैं. करीब चार हफ्ते बाद पहली बार जेल के अंदर से इमरान के ठीक होने की पुख्ता खबर मंगलवार देर शाम बाहर आई. ये खबर किसी और ने नहीं बल्कि इमरान खान (Imran Khan) की तीन बहनों से में से एक उज़्मा खान (Uzma Khan) ने खुद दी. दरअसल, इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार शाम को ही इमरान की बहनों की याचिका पर सुनवाई करने के बाद तीन में एक बहन उज्मा को इमरान से अडायाला जेल में मुलाकात करने की इजाजत दी थी.
इस मुलाकात के बाद इमरान खान को लेकर पिछले चार हफ्तों से जारी अफवाहों पर अब विराम लग गया है. मगर सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तानी हुकूमत और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने चार हफ्ते तक इस खबर को हवा क्यों दी? तो इसके लिए हमें पूरी कहानी समझनी होगी.
4 अप्रैल 1979, रावलपिंडी की अडयाला जेल
रावलपिंडी की में मौजूद है सेंट्रल जेल है या अडयाला जेल. जहां पाकिस्तान के पूर्व वजीर-ए-आजम जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी दी गई थी. तब पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल ज़ियाउल-हक ने भुट्टो सरकार का तख्तापलट कर भुट्टो को जेल में डाल दिया था. बाद में एक कत्ल के सिलसिले में भुट्टो को इसी जेल में फांसी दे दी गई।
46 साल बाद अडयाला जेल की चर्चा
रावलपिंडी की यही अडयाला जेल इस वक्त ना सिर्फ पूरे पाकिस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में सुर्खियों में है. वजह ये है कि इस जेल में फिर से पाकिस्तान के एक पूर्व वजीर-ए-आजम यानि प्रधानमंत्री इमरान खान पिछले 2 साल और 4 महीनों से बंद हैं. लेकिन बीते चार हफ्तों से इमरान खान की कोई भी खबर इस जेल की चारदीवारी के बाहर नहीं आई है, यहां तक की खुद इमरान खान के बेटे कासिम खान ने ये कहा है कि उनके वालिद इमरान खान के जिंदा होने के कोई सबूत नहीं है और अगर सबूत है तो पाकिस्तानी सरकार और सेना को देना चाहिए।
बीते चार हफ्तों से इमरान खान को लेकर जो चर्चाएं या अफवाहें गर्म हैं, उसी के मद्देनजर उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानि पीटीआई, उनके परिवार और उनके चाहने वालों को ये डर सता रहा है कि कहीं जुल्फिकार अली भुट्टो वाली कहानी इमरान खान के साथ तो नहीं दोहरा दी गई? और बस इसी सच को जानने के लिए इमरान खान के परिवार और पीटीआई के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं।
इस्लामाद हाईकोर्ट के बाहर मंगलवार को इमरान के हजारों समर्थक इमरान खान के जिंदा होने का सबूत मांगने के लिए इकट्ठा हो गए थे. दरअसल, इसी हाईकोर्ट में इमरान खान की बहन ने एक याचिका दाखिल कर ये मांग की है कि उनके परिवार और वकीलों को इमरान खान से जेल के अंदर मुलाकात करने की इजाजत दी जाए. हालांकि इसी इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही ये ऑर्डर पास कर रखा है कि इमरान खान के परिवार, उनके वकील और पार्टी के लोग हफ्ते में एक बार जेल में इमरान से मिल सकते हैं. इतना ही नहीं इसी इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने हफ्ते में एक बार तीस मिनट के लिए इमरान खान को अपने वकील या रिश्तेदारों से फोन पर बातचीत करने की भी इजाजत दी थी. ये मुलाकात हर हफ्ते मंगलवार के लिए तय हुई थी।
इस साल अक्टूबर तक सब कुछ ठीक था. मगर नवंबर का महीना शुरु होते ही अचानक अडयाला जेल के जेलर ने बिना कुछ वजह बताए इमरान खान की बहनों और वकीलों की इमरान से मुलाकात पर रोक लगा दी. पूरे दो हफ्ते इमरान खान से किसी ने मुलाकात नहीं की. फिर तभी पिछले हफ्ते अफगान मीडिया पर अचानक एक खबर आती है. इस खबर में दावा किया गया था कि अडयाला जेल के अंदर इमरान खान का कत्ल करने के बाद उनकी लाश जेल के कहीं बाहर ले जाई गई है. बस इसी एक खबर के बाद अचानक पाकिस्तान में हंगामा मच गया. इमरान खान की खैरियत जानने के लिए इमरान की तीनों बहनें और पीटीआई के सैकड़ों समर्थक अडयाला जेल के बाहर पहुंच गए।
इसी बीच इमरान खान के बेटे कासिम खान सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालते हैं. इस पोस्ट में कासिम खान ये सनसनीखेज खुलासा करते हैं कि बीते 845 दिनों से जेल में बंद उनके वालिद इमरान खान को पिछले 6 हफ्तों से जेल के अंदर डेथ सेल में रखा गया है. कासिम खान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी इमरान खान के बारे में सही जानकारी जेल से बाहर लाने में मदद मांगी है. सोशल मीडिया पर इस पोस्ट के बाद इमरान खान के बेटे कासिम खान ने एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते हुए ये कहा कि तीन हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन इस बात के अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं कि इमरान अब भी जिंदा हैं।
कासिम खान ने आगे कहा कि हमें सबसे ज्यादा डर इस बात का है कि इमरान खान के साथ कुछ जरूर हुआ है. कासिम खान ने आगे कहा कि फैमिली ने इमरान खान के पर्सनल फिजिशियन को इमरान की सेहद की जांच करने के लिए जेल में जाने की इजाजत मांगी थी लेकन जेल अथॉरिटी ने हर बार ये गुजारिश ठुकरा दी. कासिम की मां और इमरान खान की एक्स वाइफ जेमीमा गोल्डस्मिथ ने भी ये दावा किया है कि उन लोगों को फोन पर भी इमरान खान से बात करने नहीं दिया जा रहा है।
इमरान खान के परिवार और पार्टी की तमाम मांगों के बावजूद पाकिस्तान की सरकार और सेना ने अब तक इमरान खान के जिंदा होने के एलानिया कोई सबूत नहीं दिए हैं. इसी के खिलाफ पीटीआई ने मंगलवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट और रावलपिंडी में अडयाला जेल के बाहर विरोध प्रदर्शन का एलान किया था. लेकिन उन्हें रोकने के लिए पाकिस्तानी हूकुमत ने हाईकोर्ट और अडयाला जेल के बाहर धारा 144 लगा दी।
इसी भारी विरोध प्रदर्शन के बीच मंगलवार की दोपहर साढ़े तीन बजे इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान की तीन बहनों में से एक उज्मा खान को अडयाला जेल में जाकर इमरान से मिलने की इजाजत दे दी. इसी के बाद मंगलवार शाम को ही उज्मा खान इमरान खान से मिलने जेल पहुंची. आधे घंटे बाद जेल बाहर आते ही उज्मा खान ने सबसे बड़ी खबर दी. खबर ये कि इमरान खान जिंदा हैं और ठीक हैं।
दरअसल, बीते तीन हफ्तों से इमरान खान को उनके परिवार या वकील से ना मिलने देने से सिर्फ एक हफ्ता पहले इमरान खान के सोशल मीडिया हैंडल से उन्हीं के हवाले से पाकिस्तान आर्मी चीफ, जो अब फील्ड मार्शल बन चुके हैं और जिन्हें इस वक्त पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स कहा जाता है, उसी आसिम मुनीर के खिलाफ बयान जारी किया था. असल में जब भी परिवार का कोई सदस्य, वकील या पार्टी का पदाधिकारी इमरान से जेल में मिलने आता तब वो उसके जरिए अपने पैगाम सोशल मीडिया पर डाला करते थे. महीने भर पहले अपनी पोस्ट में इमरान खान ने आसिम मुनीर की आलोचना करते हुए सीधे-सीधे ये कहा था कि आसिम मुनीर पाकिस्तान में जोर जबरदस्ती की हुकूमत कायम करना चाहते हैं।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था- “सही मायने में हार्ड स्टेट का मतलब होता है एक ऐसा देश जहां संविधान सबसे ऊपर हो, कानून और इंसाफ का राज हो और लोगों के लोकतांत्रिक हक बरकरार रहें. लेकिन आसिम मुनीर के हार्ड स्टेट का मतलब है, जहां लोकतंत्र के सारे खंभों को धराशाई कर दिया जाए और उनकी जगह पर ‘आसिम लॉ’ यानी आसिम का ही क़ानून चले. ये पता होना चाहिए कि कोई भी देश तब तक हार्ड या स्ट्रॉन्ग यानी ताकतवर नहीं हो सकता, जब तक उसे लोगों का समर्थन और उनकी रज़ामंदी ना हो. तथाकथित ‘आसिम लॉ’ के तहत जो जुल्म किए जा रहे हैं, वो मुल्क को मजबूत नहीं कर रहे, बल्कि उसकी बुनियाद कमजोर हो रही है.”
इल्जाम है कि इसी पोस्ट के बाद जेल में अब किसी से भी इमरान को मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही है. हालांकि इस पोस्ट के आने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने ये इल्जाम लगाया था कि इमरान खान जेल के अंदर से मोबाइल ऑपरेट कर रहे हैं. इमरान के वकील ने इस इल्जाम को झूठा बताते हुए तब ये कहा था कि मुलाकात के दौरान इमरान जो भी कहते हैं, वही बातें बाहर उनके सोशल मीडिया हैंडल पर डाला जाता है. जेल में फोन रखने की बात सरासर गलत है.
पाकिस्तान से आ रही खबरों के मुताबिक वो आसिम मुनीर ही है, जिसके हुक्म पर जेल में मुलाकात के हक से इमरान खान को रोक दिया गया है. असल में इमरान खान और आसिम मुनीर के बीच पुरानी अदावत रही है. जब इमरान खान पाकिस्तान के वजीर ए आजम थे, तब उन्हीं के कार्यकाल में महज कुछ दिनों के अंदर ही आसिम मुनीर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ के पद से हटा दिया गया था. इतना ही नहीं आसिम मुनीर की शिकायत ये भी रही है कि इमरान खान ने ही उन्हें तब पाकिस्तानी सेना का चीफ बनने नहीं दिया था.
कहा तो ये भी जाता है कि जब पाकिस्तान में तख्तापलट हुआ और इमरान खान से प्रधानमंत्री की उनकी कुर्सी छीनी गई, तब इसके पीछे असली साजिशकर्ता आसिम मुनीर ही था. आसिम मुनीर की ही पहल पर इमरान खान को हटा कर पाकिस्तान में नई सरकार का गठन किया गया. वो आसिम मुनीर ही था, जिसने इमरान खान की पार्टी पीटीआई के बैनर तले आम चुनाव में हिस्सा लेने से उसे रोक दिया था. हालांकि बाद में पीटीआई के ही उम्मीदवार आजाद उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़े और चुनाव में सौ से ज्यादा सीटें जीतीं.
अफगान मीडिया का इमरान की हत्या को लेकर ये दावा आग की तरह पूरे पाकिस्तान में फैल गया. पीटीआई के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में अडयाला जेल के बाहर पहुंच गए. लेकिन देर शाम तक पाकिस्तानी सरकार की तरफ से इमरान खान की सेहत को लेकर किसी तरह का कोई बयान जारी नहीं किया गया.
वैसे इससे पहले इसी साल मई में भी इसी अडयाला जेल के अंदर से इमरान की हत्या को लेकर खबर आई थी. तब कहा गया था कि जेल के अंदर जेल स्टाफ ने इमरान खान को इस तरह टॉर्चर किया कि उनकी मौत हो गई. तब इस खबर को लेकर पाकिस्तानी ऑथोरिटी की तरफ से बाकायदा एक प्रेस रिलीज भी जारी की गई थी. लेकिन बाद में पता चला कि वो प्रेस रिलीज फर्जी थी. इससे पहले भी एक दो बार इसी तरह की खबरें जेल से बाहर आई थीं.
बीते ढाई सालों में ये पहली बार है जब अफगान मीडिया की तरफ से इमरान को लेकर ऐसी कोई खबर आई है. दरअसल, जेल जाने के बाद सबसे पहली खबर इमरान को जहर देकर मारने की थी. ये बात खुद इमरान खान ने भी कही थी कि उन्हें और उनके परिवार को जेल में मारने की साजिश रची जा रही है.
ढाई साल पहले 9 मई 2023 में इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट के आहाते से उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था, जब वो जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचे थे. तब से ही उन्हें करप्शन और कई और मामलों में जेल के अंदर ही रखा जा रहा है. इमरान खान पाकिस्तान के वो इकलौते नेता या पूर्व प्रधानमंत्री हैं जो जेल जाने और जेल में रहने के बावजूद सरकार या सेना के इस ऑफर को बार-बार ठुकरा चुके हैं कि पूर्व के बाकी नेताओं की तरह जेल सजा या मुकदमे से बचने के लिए पाकिस्तान छोड़ कर किसी और देश में पनाह नहीं लेंगे.
इमरान खान ने हमेशा ये बात दोहराई है कि वो पाकिस्तान में रह कर ही कानून का सामना करेंगे. लेकिन पाकिस्तान नहीं छोड़ेंगे. और शायद यही बात पाकिस्तानी हुक्मरानों और सेना को बर्दाश्त नहीं. क्योंकि पाकिस्तान में इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई दोनों के चाहने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है. बेशक इमरान जेल में बंद हैं लेकिन सरकार और सेना फिर भी डरी रहती है.
असल में 2024 में हुए पाकिस्तानी जनरल इलेक्शन में आसिम मुनीर ने साजिशन कोर्ट के साथ मिलकर इमरान खान की पार्टी पीटीआई के इलेक्शन लड़ने पर रोक लगा दी थी. लेकिन इसके बावजूद आजाद उम्मीदवार के तौर पर पीटीआई के समर्थक चुनाव लड़े. ना सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि 93 उम्मीदवार जीत भी गए. यानि इस चुनाव में पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी थी. पीटीआई के बाद नवाज शरीफ और शाहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग 75 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर आई. जबकि बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानि पीपीपी 54 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही.
बाद में मुस्लिम लीग और पीपीपी ने मिलकर सरकार बना ली. ये सब आसिम मुनीर के इशारे पर ही हुआ था. लेकिन इस सरकार के वजूद में आने के बावजूद पाकिस्तान में पीटीआई के चाहने वालों की एक बड़ी तादाद है. और इनमें एक बड़ा तबका नौजवानों का है. यानि जेन जी का. और बस इसी बात से शाहबाज सरकार और आसिम मुनीर इमरान खान से डरे रहते हैं.
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