
कैनबरा। भारत और ऑस्ट्रेलिया (India and Australia) ने गुरुवार को अपने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग (Bilateral Defence Cooperation) और सैन्य इंटरऑपरेबिलिटी को और गहरा करने का संकल्प लिया। दोनों देशों ने तीन प्रमुख समझौतों (Three Major Agreements) पर हस्ताक्षर किए और ‘क्वाड’ देशों के बीच मौजूद रणनीतिक एकरूपता पर विश्वास जताया। यह बैठक उस समय हुई है जब ट्रंप प्रशासन यह संकेत दे रहा है कि अमेरिका अब चीन का मुकाबला करने वाली इंडो-पैसिफिक रणनीति में पहले जैसा निवेश नहीं करेगा।
कैनबरा में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष रिचर्ड मार्ल्स ने गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान, पारस्परिक पनडुब्बी खोज और बचाव सहयोग के साथ-साथ संयुक्त स्टाफ वार्ता तंत्र की स्थापना से जुड़े तीन अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देश अब संयुक्त समुद्री सुरक्षा सहयोग रोडमैप को अंतिम रूप देने और 2009 के सुरक्षा समझौते की जगह लेने वाले दीर्घकालिक रक्षा ढांचे पर भी काम कर रहे हैं।
अमेरिका के साथ बढ़ते टैरिफ विवाद और कूटनीतिक तनाव के बीच भारत अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस जैसे क्षेत्रीय साझेदारों के साथ रक्षा सहयोग को गति दे रहा है। ये सभी देश चीन के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में विस्तारवादी रुख से चिंतित हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यह ऑस्ट्रेलिया यात्रा 2014 के बाद पहली बार किसी भारतीय रक्षा मंत्री की आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 29 अगस्त को जापान के साथ भी सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
मार्ल्स ने कहा था कि चीन दोनों देशों के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि मुक्त, खुला, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने समुद्री नेविगेशन की स्वतंत्रता, हवाई उड़ानों की सुरक्षा और निर्बाध व्यापार का समर्थन किया साथ ही, क्वाड देशों के बीच समुद्री निगरानी बढ़ाने और अगले महीने होने वाले मलाबार नौसैनिक अभ्यास की तैयारियों पर चर्चा की।
राजनाथ सिंह ने ट्वीट में कहा, “हमने रक्षा उद्योग, साइबर सुरक्षा, समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय चुनौतियों सहित भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी की पूरी रूपरेखा की समीक्षा की। हमने अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को दोहराया। भारत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने की अपील करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आतंक और बातचीत साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।
2020 में हस्ताक्षर किए गए सैन्य रसद सहयोग समझौते (MLSA) के बाद दोनों देशों ने अब वायुसेना के बीच एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग समझौते को भी लागू कर दिया है। राजनाथ सिंह को KC-30A मल्टी-रोल ट्रांसपोर्ट और टैंकर विमान से उड़ान के दौरान F-35 लड़ाकू विमान को हवा में ईंधन भरने का प्रदर्शन दिखाया गया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved