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    लद्दाख तक एक और सड़क बनाएगा भारत, मनाली और लेह की दूरी 3-4 घंटे होगी कम

  • August 20, 2020

    नई दिल्ली । दुश्मन की निगाह से बचने के लिए भारत लद्दाख तक एक सड़क बनाने की तैयारी में है। इस मार्ग से ​लद्दाख तक सैनिकों और हथियारों की तेजी से आवाजाही हो सकेगी। अभी हाल ही में भारत ने लद्दाख बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर एक पुराने कारवां मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप तैयार किया है, जिससे डेप्सांग प्लेन्स, डीबीओ, डीएसडीबीओ तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। अब दूसरे बनने वाले मार्ग से चीन सीमा तक सैनिकों की पहुंच तेजी से हो सकेगी।

    सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अब ​मनाली से लेह तक नीमू-पद्म-दार्चा होते हुए वैकल्पिक मार्ग बनाने की तैयारी कर रहा है। इस सड़क से मौजूदा जोजिला पास वाले रास्ते और सार्चु से होकर मनाली से लेह तक के रूट के मुकाबले समय की काफी बचत होगी। यानी कि नई सड़क से मनाली और लेह की दूरी 3-4 घंटे कम हो जाएगी। साथ ही लद्दाख तक तेजी से सैन्य मूवमेंट हो सकेगा।खास बात यह है कि यह ऐसा मार्ग होगा जिससे भारतीय सेना की आवाजाही, ​तैनाती व लद्दाख तक तोप, टैंक जैसे भारी हथियारों की मूवमेंट की दुश्मन को भनक तक नहीं लगेगी। मनाली से लेह तक इस सड़क के बनने के बाद भारत के पास अब लद्दाख तक पहुंचने के तीन रास्ते उपलब्ध हो जायेंगे, इसलिए चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे टकराव के कारण भारत का यह कदम ​रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

    लद्दाख तक सामानों और लोगों के परिवहन के लिए मुख्य तौर पर जोजिला वाले रास्ते का इस्तेमाल होता है जो ड्रास-करगिल से लेह तक गुजरती है। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों ने इसी रूट को बुरी तरह निशाना बनाया था। उस दौरान रोड से सटे ऊंचे पहाड़ों से पाकिस्तानी फौज ने बमबारी और गोलाबारी की थी​​। इस अहम प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है और नया रोड मनाली को लेह से ​​सिन्धु नदी के तट पर 11​ हजार फीट की ऊंचाई पर​ सेना की अग्रिम पोस्ट​​ ​नीमू के नजदीक जोड़ेगा​।​ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ​ने 3 जुलाई को ​लेह में ​स्थित सेना की इसी अग्रिम पोस्ट​​ ​नीमू​ का दौरा किया था। ​​नई सड़क लेह से खरदुंगा की तरफ जाएगी फिर वहां से ससोमा-​​सासेर ला श्योक और दौलत बेग ओल्डी समेत ग्लेशियरों से होकर गुजरेगी।

    पुराने कारवां मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप तैयार किया
    ​इसके अलावा ​भारत ने लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर एक पुराने कारवां मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप तैयार किया है, जिससे डेप्सांग प्लेन्स, डीबीओ, ​​डीएसडीबीओ तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। यह पुराना मार्ग सियाचिन ग्लेशियर और डेप्सांग प्लेन्स के बीच था जिसे भारत ने पुनर्जीवित किया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब होने की वजह से दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड के कई बिंदुओं पर सैन्य जोखिम हैं।

    नई सड़क सियाचिन ग्लेशियर के बेस के पास ससोमा से शुरू ​होकर 17 हजार 800 फुट ऊंचे सासेर ला के पूर्व तक जाती है। फिर डेप्सांग प्लेन्स में मुर्गो के पास गेपसम में उतरकर मौजूदा (डीएसडीबीओ) से जुड़ जाएगी। सेना की 14वीं कोर को सियाचिन के नजदीक दौलत बेग ओल्डी इलाके की तरफ आने वाली इस सड़क की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए ट्रायल बेसिस पर एक यूनिट भेजी भी जा चुकी है।​ अभी फिलहाल भारतीय सेना ​के वाहन ​ससोमा से सासेर ला तक ​जा पाते हैं लेकिन आगे के बाकी इलाकों में पैदल ही जाना पड़ता है।

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