
वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) ने एक महत्वपूर्ण दावा किया है। उन्होंने कहा है कि भारत (India) इस साल के अंत तक रूस (Russia) से होने वाले अपने तेल आयात (Oil Import) में लगभग 40% की कटौती कर देगा। दूसरी ओर भारत ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है कि प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने रूसी तेल आयात रोकने का कोई वादा किया था।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि भारत ने उन्हें बताया है कि वह रूसी तेल आयात बंद करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह एक प्रक्रिया है। आप अचानक से (रूस से तेल खरीदना) बंद नहीं कर सकते।”
ट्रंप ने इसे एक “क्रमिक” प्रक्रिया बताया और दावा किया कि साल के अंत तक भारत यह आयात “लगभग शून्य” कर देगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत “बेहद अच्छी” रही और भारत “शानदार” रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया: “कोई समझौता नहीं, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि”
भारत ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी तेल आयात रोकने का कोई वादा किया था। भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति का मुख्य लक्ष्य देश के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। भारत सरकार ने जोर दिया कि वह स्थिर कीमतों और सुरक्षित आपूर्ति को प्राथमिकता देती है और उसके ऊर्जा स्रोत चुनने का फैसला उसके राष्ट्रीय हितों द्वारा निर्देशित होता है।
टैरिफ का मुद्दा और पाकिस्तान संबंध
ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाए हैं और भारत से रूस के अलावा अन्य देशों से भी ऊर्जा स्रोत खोजने का आग्रह किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर भारत रूस से तेल आयात जारी रखता है, तो उसे ये “भारी टैरिफ” चुकाते रहना होंगे। ट्रंप ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से पाकिस्तान के साथ संबंधों के बारे में भी बात की और कहा, “चलो पाकिस्तान के साथ कोई युद्ध न हो।”
ट्रंप के नए तेल प्रतिबंध से व्यापारिक रिश्तों में दरार
ट्रंप के निर्णयों से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने हाल के वर्षों में रूस से 40 प्रतिशत तक तेल खरीदा था, जिससे वह रूस का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया। अब ट्रंप प्रशासन के दबाव से व्यापारिक बातचीत कठिन दौर में पहुंच गई है। अगस्त 2025 में ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया, जिससे भारतीय निर्यात को भारी नुकसान हुआ।
भारत के लिए यह स्थिति जटिल
भारत के लिए यह स्थिति जटिल है। एक ओर अमेरिका का दबाव और दूसरी ओर रूस के साथ दशकों पुरानी साझेदारी। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में भारत को अपनी ऊर्जा रणनीति को संतुलित करना होगा ताकि वह न तो आर्थिक रूप से नुकसान में जाए और न ही कूटनीतिक तौर पर असहज स्थिति में पहुंचे। इसके बावजूद भारत ने साफ किया है कि उसकी नीति किसी राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि ऊर्जा जरूरतों से तय होती है।
चीन से मिलने की तैयारी में ट्रंप
ट्रंप ने बताया कि वे जल्द ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा बाजार पर बातचीत होगी। उनका कहना है कि शी जिनपिंग रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर युद्ध समाप्त करने के लिए “बड़ा प्रभाव” डाल सकते हैं।
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