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हंबनटोटा में उतरे चीनी जहाज को लेकर भारत-US चिंतित, भारतीय प्रतिष्‍ठानों के जासूसी की आशंका

August 17, 2022

कोलंबो। चीन(China) ने अपनी स्थिति साफ करते हुए मंगलवार को कहा कि उसके हाई-टेक अनुसंधान पोत की गतिविधियों से किसी भी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी। साथ ही उसने यह भी कहा कि किसी भी “तीसरे पक्ष” द्वारा इसे “बाधित” नहीं किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि श्रीलंका(Sri Lanka) के रणनीतिक दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा में चीनी जहाज की मौजूदगी को लेकर भारत और अमेरिका ने चिंता जाहिर की थी।

चीनी विदेश मंत्रालय (Chinese Foreign Ministry) के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि ‘युआन वांग 5’ जहाज ‘श्रीलंका की ओर से सक्रिय सहयोग’ के साथ हंबनटोटा बंदरगाह(hambantota port) पर ‘सफलतापूर्वक’ उतरा है। हालांकि, वांग ने श्रीलंका को वित्तीय सहायता देने से संबंधित एक प्रश्न को टाल दिया। आपको बता दें कि चीनी ऋण सहित 51 बिलियन अमरीकी डॉलर के विदेशी ऋण ने श्रीलंका को हाल ही में दिवालिया कर दिया।



बैलेस्टिक मिसाइल एवं उपग्रहों का पता लगाने में सक्षम जहाज ‘युआन वांग 5’ स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा। यह 22 अगस्त तक वहीं रुकेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन कहा कि ‘युआन वांग 5’ “श्रीलंका के सक्रिय सहयोग” से हंबनटोटा बंदरगाह पर “सफलतापूर्वक” पहुंच गया है।

हंबनटोटा बंदरगाह को बीजिंग ने 2017 में श्रीलंका से कर्ज के बदले में 99 साल के पट्टे पर ले लिया था। श्रीलंका के बंदरगाह पर पहुंचे इस पोत की प्रौद्योगिकी को लेकर भारत और अमेरिका की चिंताओं का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए वांग ने कहा, “मैं फिर से जोर देना चाहता हूं कि युआन वांग 5 की समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप हैं।” उन्होंने कहा, “वे किसी भी देश की सुरक्षा और उसके आर्थिक हितों को प्रभावित नहीं करतीं तथा उसे किसी तीसरे पक्ष द्वारा बाधित नहीं किया जाना चाहिए।”

श्रीलंका सरकार ने पोत में लगे उपकरणों को लेकर भारत और अमेरिका द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने के बाद चीन सरकार से इस पोत को भेजने में विलंब करने को कहा था और अंततः उसने 16 से 22 अगस्त तक जहाज को बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दे दी। चीन की आधिकारिक मीडिया के अनुसार, चालक दल के 2,000 से अधिक कर्मियों वाले जहाज में उपग्रहों और बैलिस्टिक मिसाइल का पता लगाने की क्षमता है।

श्रीलंका ने कहा कि उसने व्यापक विचार-विमर्श के बाद जहाज को अनुमति दी। यह पूछे जाने पर कि अब जहाज को रुकने की अनुमति दे दी गई है तो क्या श्रीलंका की चरमराई अर्थव्यवस्था को देखते हुए चीन उसे बहुत जरूरी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

हंबनटोटा बंदरगाह पर भारत की नजर
हंबनटोटा बंदरगाह को बड़े पैमाने पर चीन से लिए गए कर्ज से विकसित किया गया है और यह अपने स्थान के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी घटनाक्रम पर करीब से नजर रखता है। भारत इस आशंका से चिंतित है कि जहाज की निगरानी प्रणाली भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी का प्रयास कर सकती है।

भारत ने पारंपरिक रूप से हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों के बारे में कड़ा रुख अपनाया है और अतीत में इस तरह की यात्राओं के संबंध में श्रीलंका के समक्ष विरोध दर्ज कराया है। साल 2014 में कोलंबो द्वारा अपने एक बंदरगाह पर परमाणु चालित एक चीनी पनडुब्बी को रुकने की अनुमति दिए जाने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।

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