
नई दिल्ली । भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि सुरक्षा परिषद एक पंगु संस्था बन चुकी है और उचित प्रतिनिधित्व मुहैया न कराने के चलते जिम्मेदारी के साथ आवश्यक कार्य नहीं कर पा रही है।
संयुक्त राष्ट्र की 75वीं आम सभा को संबोधित करते हुए भारतीय मिशन के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि अंतर सरकारी वार्ताएं (आईजीएन) विश्वविद्यालय स्तर की बहस बन चुकी है, जबकि इसे संप्रभु सदस्य देशों के बीच परिणाम आधारित प्रक्रिया होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आईजीएन के भीतर पिछले दशकों में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। केवल कुछ भावनात्मक वक्तव्य जारी किए गए हैं, जिसमें रिफॉर्म की बात की गई है। इस तरह की वार्ताओं के अर्थहीन होने का कारण इसका अनौपचारिक होना है। इसकी कोई नियम आधारित प्रक्रिया नहीं है और न ही कोई रिकॉर्ड रखा जाता है। हमें खुद अपने नोट्स रखने पड़ते हैं जो कि छोटे और मध्यम देशों के लिए एक अतिरिक्त बोझ है। इन छोटे और मध्यम देशों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले देश इन्हें ही रिकॉर्ड रखने की बुनियादी सुविधा प्रदान नहीं कर रहे हैं। ऐसे में हम हर बार फिर से एक नई शुरुआत करते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ देश आईजीएन की प्रगति को रोक रहे हैं। यह देश आईजीएन इस्तेमाल खुद को छिपाने के लिए कर रहे हैं और दिखावे के लिए सुरक्षा परिषद में रिफॉर्म की बात करते हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved