
नई दिल्ली । कोरोना संकट के बीच विदेशी मुद्रा भंडार से देश का खजाना (foreign exchange reserves ) भर गया है। विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि कोरोना संकट की वजह से आर्थिक स्थिति खराब हुई, लेकिन इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता गया। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 6 नवंबर को खत्म सप्ताह के दौरान 7.779 बिलियन डॉलर चढ़कर 568.494 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा भंडार ने पहली बार 568 बिलियन डॉलर के स्तर को पार किया है। इससे पहले 30 अक्टूबर को यह 1.83 करोड़ डॉलर मजबूत होकर 560.715 अरब डॉलर पर था। आरबीआई के मुताबिक 6 नवंबर को खत्म सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में बड़ी बढ़ोतरी का फायदा विदेशी मुद्रा भंडार पर दिखा, जिससे यह 568 बिलियन डॉलर के ऊपर पहुंच गया है।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां 6.403 बिलियन डॉलर चढ़कर 524.742 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई। एफसीए में अमेरिकी डॉलर को छोड़ यूरो, पाउंड और अन्य मुद्राओं को शामिल किया जाता है। इसकी गणना भी डॉलर के मूल्य में ही होती है। जबकि इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.328 अरब डॉलर बढ़कर 37.587 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
5 जून को खत्म हुए सप्ताह में पहली बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर गया था। उस समय यह 8.22 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 501.70 अरब डॉलर पहुंचा था। विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है। इसमें करंसी के तौर पर अधिकतर डॉलर होता है। डॉलर के जरिए ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। 30 साल पहले वर्ष 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार शून्य पर चला गया था।
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