
पंचायतों की सीमाएं भी नए सिरे से होंगी तय, मास्टर प्लान में बढ़ाए निवेश क्षेत्र के भी कुछ गांव आएंगे सीमा में, पुराने मामले का ही पटाक्षेप सालों बाद हुआ
इंदौर। अभी 5 अगस्त को मौजूदा भाजपा (BJP) की निगम परिषद् (Corporation Council) अपने तीन साल का कार्यकाल (Tenure) पूरा होने का जश्र भी मनाने जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री (Chief Minister) को भी आमंत्रित किया जा रहा है। दरअसल पिछले 25 सालों से शहर सरकार पर भाजपा काबिज है, जिसके चलते यह सिल्वर जुबली मनेगा। वहीं 2027 में होने वाले निगम चुनावों के चलते वार्डों का परिसीमन भी कराया जाना है और पंचायतों की सीमाएं भी तय होंगी, जिसके लिए आयोग का गठन भी शासन करेगा।
अभी कल ही इंदौर निगम सीमा में शामिल किए गए 29 गांवों को लेकर आधा दर्जन याचिकाएं हाईकोर्ट में पिछले 11 सालों से लम्बित थी उनका निराकरण किया गया है। दरअसल, 2014 के मास्टर प्लान में शामिल इन 29 गांवों को निगम सीमा में जोडऩे की खिलाफत हुई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। मगर 29 गांव ना सिर्फ निगम सीमा में शामिल हुए, बल्कि उसके बाद तीन निगम चुनाव भी सम्पन्न हो गए और वार्डों की संख्या भी बढक़र 85 हो गई। अब चूंकि शहर का विस्तार तेजी से हो रहा है और जो आगामी मास्टर प्लान बनाया जा रहा है उसमें 79 गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल किया गया है। लिहाजा इनमें से कुछ गांव निगम सीमा में भी शामिल किए जा सकते हैं, जिसके चलते परिसीमन की प्रक्रिया करना होगी। हालांकि वार्डों की संख्या उतनी ही रहेगी, क्योंकि 85 से अधिक वार्ड बना नहीं सकते अन्यथा इंदौर को महानगर विधिवत रूप से घोषित करना पड़ेगा। हालांकि इंदौर मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी के गठन की प्रक्रिया भी शासन ने शुरू करवा दी है। वहीं 2027 में पंचायतों के साथ-साथ नगरीय निकायों के चुनाव भी होना है, जिसमें इंदौर निगम भी शामिल रहेगा। मौजूदा निगम परिषद् का कार्यकाल 2027 में पूरा हो जाएगा। अभी राज्य निर्वाचन आयोग ने नए परिसीमन आयोग के गठन का प्रस्ताव भी शासन को भेजा है। वैसे तो लोकसभा-विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी परिसीमन की कवायद होना थी, जो बाद में रूक भी गई। इसके साथ ही प्रदेश के सभी जिलों, तहसीलों और ब्लॉक की सीमाओं को तय करने के लिए भी एक विशेष आयोग का गठन सरकार ने किया था। मगर इस मामले में भी आगे काम नहीं हो सका। प्रदेश में कुल 10 संभाग, 56 जिले और 430 तहसीलें हैं, जिनकी सीमाएं तय करने के लिए हर संभाग, तहसील, ब्लॉक स्तर से रिपोर्ट मांगी जाना थी। दरअसल, मध्यप्रदेश क्षेत्रफल के लिहाज से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और इसकी सीमाओं में भारी विसंगतियां हैं और पिछले कुछ सालों में राजनीतिक दबाव-प्रभाव और चुनावी गणित के चलते नए जिलों और तहसीलों का गठन भी किया गया। इतना ही नहीं, अभी भी आधा दर्जन और नए जिलों की मांग उन क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही है जिसमें चाचौड़ा, खुरई, बिना, जुन्नारदेव, मनावर, लवकुश नगर को भी जिला बनाने की मांग होती रही है। वहीं मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि टोले, मंजरे, पंचायत के लोगों को जिला संभाग विकासखंड तक पहुंचने के लिए 150 किलोमीटर तक का चक्कर भी लगाना पड़ता है।
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