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इन्दौर इलेक्शन खास: एक प्रत्याशी के आधे खर्चे में निपट गए चुनाव

May 15, 2024


14 प्रत्याशी मिलकर भी नहीं खर्च कर पाए 95 लाख… कुल खर्च 36 लाख 90 हजार 899

इन्दौर। कांग्रेस (congress) के प्रत्याशी (candidate) की नाम वापसी के बाद लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में मतदाताओं से लेकर प्रत्याशियों तक में उत्साह की भारी कमी देखी गई। एकतरफा चुनाव को लेकर जहां प्रत्याशी आशान्वित नजर आ रहे थे, वहीं प्रचार-प्रसार को लेकर भी भारी कमी देखी गई। दो मुख्य पार्टियों सहित 12 निर्दलीय मैदान में थे। उसके बावजूद एक प्रत्याशी के आधे खर्च (half expenses) में ही पूरा चुनाव निपट गया। 14 प्रत्याशी मिलकर भी 95 लाख तक खर्च नहीं कर पाए।


लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के दल बदलने के बाद भाजपा के सामने चुनौती खत्म हो गई थी। जिले में कांग्रेस के मैदान में नहीं होने के कारण मतदाताओं में भी उत्साह लगभग खत्म हो गया था। अधिकांश मतदाता छुट्टियों का लाभ उठाते हुए जहां घूमने निकल गए थे, वहीं कई मतदाताओं ने घर में रहने के बावजूद मतदान के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। प्रचार-प्रसार को लेकर निर्वाचन आयोग ने एक प्रत्याशी को 95 लाख रुपए तक खर्च करने की अनुमति दी थी, लेकिन नीरस हुए लोकसभा चुनाव में 14 प्रत्याशी भी मिलकर इतना खर्च नहीं कर पाए। 36 लाख 90 हजार 899 के खर्च में इंदौर जिले में प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ लिया।

किसका कितना खर्च
लोकसभा चुनाव में मुख्य पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मैदान में रहे भाजपाई शंकर लालवानी ने चुनाव प्रचार खत्म होने के पहले तक लगभग 25 लाख 7 हजार 786 का खर्च किया। वहीं दूसरी मुख्य पार्टी के रूप में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी संजय लक्ष्मण सोलंकी ढाई लाख रुपए ही खर्च कर पाए। कामरेड अजीतसिंह का कुल खर्च 1 लाख 8 हजार 305 रुपए था। वहीं अभा परिवार पार्टी के पवन कुमार ने 1 लाख 56 हजार रुपए में चुनाव लड़ लिया। जनसंघ पार्टी के बसंत गेहलोत ने अपने पक्ष में प्रचार-प्रसार करने में 30 हजार 375 रुपए ही खर्च किए, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी अभय जैन ने बसपा के प्रत्याशी को टक्कर देते हुए 2 लाख 15 हजार 219 रुपए खर्च किए। निर्दलीय आजाद अली 30 हजार, इंजीनियर अर्जुन परिहार 1 लाख 41 हजार 876, देशभक्त अंकित गुप्ता 98 हजार 500, परमानंद तोलानी 25 हजार 500, एडवोकेट पंकज गुप्ते 26 हजार 340 रुपए ही खर्च कर पाए।

वोटिंग के लिए एड़ी-चोटी का जोर
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आखिरी समय तक मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते नजर आए। व्यापार-व्यवसाय चालू रखकर कर्मचारियों को मतदान से वंचित रखने वालों पर कलेक्टर का डंडा चला। आधा दर्जन से अधिक प्रतिष्ठानों पर ताला लगाने की कार्रवाई एसडीएम व एडीएम द्वारा की गई, जिसके बाद दोपहर बाद से ही मतदान प्रतिशत में अचानक उछाल आया। पहली बार मैदान में उतरे 14 प्रत्याशियों के साथ नोटा को लेकर सबसे अधिक प्रचार-प्रसार हुआ।

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