
नई दिल्ली । कुशल कर्मियों के प्रवासन पर रोक लगाए जाने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S. Jaishankar) ने अमेरिका (America) और यूरोपीय देशों (European countries) को चेताया है। विदेश मंत्री ने बुधवार को कहा कि कुशल श्रमिकों के अपने यहां आने पर अमेरिका और यूरोपीय देश यदि बाधा खड़ी करते हैं या उन पर रोक लगाते हैं तो वे अपने हितों के साथ समझौता करेंगे और उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। बुधवार को नई दिल्ली में इंडिया वर्ल्ड वार्षिक कॉन्क्लेव 2025 में जयशंकर ने यह बात कई देशों में प्रवासन के खिलाफ जारी राजनीतिक एवं सामाजिक हंगामे से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कही।
प्रतिभा के प्रवाह में रुकावट से उन्हें नुकसान होगा-जयशंकर
गतिशीलता पर एक सम्मेलन में आयोजित संवादात्मक सत्र के दौरान दिए गए उनके बयान ट्रंप प्रशासन की आव्रजन पर सख्ती के अनुरूप अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा पर नया शुल्क लगाने के फैसले की पृष्ठभूमि में आए हैं। जयशंकर ने कहा, ‘अगर वे प्रतिभा के प्रवाह में बहुत ज्यादा रुकावटें खड़ी करते हैं, तो उन्हें कुल मिलाकर नुकसान होगा। खासकर अगर आप उन्नत विनिर्माण के युग में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपको और ज्यादा प्रतिभा की जरूरत होगी।’ वह एच-1बी वीजा कार्यक्रम पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत को अन्य देशों को यह समझाने की जरूरत है कि ‘सीमा पार प्रतिभा का इस्तेमाल हमारे पारस्परिक लाभ के लिए है’।
जयशंकर ने बताया समस्या कहां है
एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत, कंपनियां अमेरिका में काम करने के लिए विशेष कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों की भर्ती करती हैं, शुरुआत में यह अवधि तीन साल के लिए होती है, जिसे तीन और वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वीकृत सभी एच-1बी आवेदनों में से लगभग 71 प्रतिशत आवेदन भारतीयों के थे। जयशंकर ने कहा, ‘यदि कई विकसित देशों में नौकरियों पर दबाव है, तो उसका कारण यह नहीं है कि उन क्षेत्रों में लोग बाहर से आए। असल वजह यह है कि उन्होंने अपनी विनिर्माण गतिविधियां बाहर जाने दीं – और आप जानते हैं, कहां।’
‘यदि लोग यात्रा नहीं करेंगे, तो काम बाहर जाएगा’
उन्होंने कहा, ‘यदि लोगों के लिए यात्रा करना कठिन हो जाता है, तो भी काम रुकने वाला नहीं है। यदि लोग यात्रा नहीं करेंगे, तो काम बाहर जाएगा।’ जयशंकर ने कानूनी गतिशीलता के महत्व पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, ‘एक वैश्वीकृत दुनिया में, मुझे लगता है कि जब हम अपने बाहरी संबंधों, खासकर आर्थिक संबंधों की बात करते हैं, तो हम अक्सर व्यापार पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम अक्सर काम और उससे जुड़ी गतिशीलता की उपेक्षा करते हैं। आपको यह समझाने के लिए कि हम किस चीज पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते। पिछले साल, भारत में 135 अरब अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण हुआ। यह अमेरिका को हमारे निर्यात का लगभग दोगुना है।’ इसके साथ ही जयशंकर ने अवैध आवाजाही के प्रति भी आगाह किया और इसके संभावित परिणामों की भी जानकारी दी।
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