
मुंबई. बोरीवली (Borivali) स्थित एक मजिस्ट्रेट कोर्ट (magistrates Court) ने एक 54 वर्षीय व्यक्ति को एक बैंक कर्मचारी (bank employee) की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोप में एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. यह घटना 2020 की है जब महिला कर्मचारी एड्रेस वेरिफिकेशन के लिए व्यक्ति के घर गई थी.
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, शिकायतकर्ता महिला, जो आरबीएल बैंक की मलाड (पश्चिम) शाखा में डिप्टी मैनेजर हैं, 27 नवंबर 2020 को आरोपी नरेंद्र रघुनाथ सगवेकर के घर बैंक की प्रक्रिया के तहत एड्रेस वेरिफिकेशन के लिए गई थीं. आरोपी सगवेकर ने एक दिन पहले ही बैंक में नया खाता खोलने के लिए आवेदन दिया था.
महिला ने क्या आरोप लगाए?
महिला का आरोप है कि एड्रेस वेरिफिकेशन के दौरान सगवेकर ने अचानक उन्हें पकड़ लिया, गाल और गर्दन पर जबरन चूमा और विरोध के बावजूद अनुचित तरीके से छूने की कोशिश की. किसी तरह खुद को छुड़ाकर महिला वापस बैंक लौटीं और घटना की जानकारी अपने मैनेजर और सहयोगियों को दी. उसी शाम उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
सगवेकर ने किया आरोपों से इनकार
आरोपी सगवेकर ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि उन्हें बैंक कर्मचारियों के कहने पर झूठे मामले में फंसाया गया है. उनके वकील ने पीड़िता के बयानों में कथित विरोधाभासों और स्वतंत्र गवाहों की गैरमौजूदगी की ओर इशारा करते हुए अभियोजन पक्ष के मामले को अविश्वसनीय बताया.
हालांकि, एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बी.एन. चिकने ने पीड़िता की गवाही को विश्वसनीय और ठोस माना. उन्होंने कहा, ‘सूचना देने वाली की मौखिक गवाही को खारिज करने का कोई कारण नहीं है. ऐसी घटना के बाद घबराना असामान्य नहीं है.’
नरमी बरतने की अपील को किया खारिज
दोष सिद्ध होने के बाद, अदालत ने नरमी बरतने की अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह अपराध नैतिक दृष्टि से गंभीर है और इसके लिए दंड मिलना जरूरी है. कोर्ट ने नरेंद्र सगवेकर को एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 1,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
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