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    खत्म हो चुके इन्दौर के मास्टर प्लान में निजी जमीनों के लिए किए कई भू-उपयोग परिवर्तन, विसंगतियों पर रोक में भी बनते रहे बाधक, प्रमुख सचिव से नहीं बैठ रही थी पटरी

  • December 22, 2023

    • 79 गांवों की विकास अनुमतियों में होते रहे खेल, अब विवादित अफसर की हुई रवानगी

    इंदौर। सत्ता समीकरण बदलते ही अफसरों के तबादले शुरू हो गए। कल विवादित नगर तथा ग्राम निवेश संचालक मुकेशचंद्र गुप्ता की भी रवानगी हो गई। अग्रिबाण ने ही कुछ समय पूर्व 79 गांवों की विकास अनुमतियों में हो रहे भोपाली खेल को उजागर किया था, जिसके चलते रियल इस्टेट कारोबारी त्रस्त हो गए। दूसरी तरफ कई विसंगतियों को ठीक नहीं किया और प्रमुख सचिव के साथ भी पटरी नहीं बैठ रही थी। इंदौर के खत्म हो चुके मास्टर प्लान में भी निजी जमीनों के उपयोग परिवर्तन के कई प्रकरणों को भी मंजूरी दे दी गई। जबकि आगामी 2041 के प्लान के प्रारुप का प्रकाशन किया जाना था। उसकी बजाय मनमाने तरीके से अनुमतियां देने के खेल किए जाते रहे। फिलहाल श्रमायुक्त को संचालक का जिम्मा सौंपा गया है।

    कल मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा ने एक आदेश सामान्य प्रशासन विभाग का जारी किया, जिसमें नगर तथा ग्राम निवेश के आयुक्त मुकेशचंद्र गुप्ता को प्रमुख सचिव आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग भेजा गया। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री के उपसचिव रहे नीरज वशिष्ठ को भी हटाया गया। वहीं इंदौर में पदस्थ श्रमायुक्त श्रीकांत बनोठ को अस्थायी रूप से संचालक नगर तथा ग्राम निवेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि इंदौर के नए मास्टर प्लान की चल रही प्रक्रिया के चलते निवेश क्षेत्र में जो 79 नए गांव जोड़े गए हैं उनमें सैंकड़ों विकास अनुमतियां ठप पड़ी है, क्योंकि धारा 16 के प्रावधान लागू कर दिए गए हैं, जिसकी अनुमति भोपाल से ही दी जाती है। नतीजतन जिन जमीन मालिकों ने भोपाल जाकर तत्कालीन संचालक से सांठगांठ कर ली उनकी अनुमतियां तो जारी हो गई, शेष कई प्रकरण लटके पड़े रहे, जिसके चलते खरीददारों को भी परेशानी हो रही है।


    इंदौर का मास्टर प्लान 31 दिसम्बर 2021 को ही समाप्त हो गया है। हालांकि नए प्लान के लागू होने तक पुराना अमल में आता रहेगा। मगर एक तरफ आगामी मास्टर प्लान के प्रारुप प्रकाशन की प्रक्रिया चल रही है, दूसरी तरफ कई निजी जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तन भी संचालक नगर तथा ग्राम निवेश ने रुचि लेकर करवा दिए। हालांकि इनमें से कई पर शासन स्तर पर आपत्तियां भी ली गई। वहीं प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास नीरज मंडलोई के साथ भी संचालक की पटरी नहीं बैठ रही थी। उनके कई आदेशों को अमल में लाने से रोकने के साथ पलटने का काम भी श्री गुप्ता द्वारा किया गया। यहां तक कि विधानसभा चुनाव से पहले देवास-पीथमपुर सहित अन्य शहरों के लिए धारा 16 के प्रावधानों के संबंध में संशोधित आदेश भी जारी हुआ। मगर इंदौर-भोपाल में उन्हें यथावत रखा गया, जिसमें न्यूनतम 10 एकड़ जमीन, सड़कों की चौड़ाई 12 मीटर से लेकर अन्य अनिवार्यताएं लागू रहीं। इंदौर का रियल इस्टेट कारोबार बीते वर्षों से तेजी में है, लेकिन अनुमतियों में विलंब के चलते परेशानी भी कम नहीं रही।

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