
नई दिल्ली । कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) ने कहा कि मोदी सरकार (Modi Government)विदेशी डेलिगेट्स (Foreign Delegates) को विपक्ष के नेता से मिलने नहीं देती (Does not allow to meet Opposition Leader) । लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने विदेश से आने वाले डेलिगेट्स से कहा है कि वे विपक्ष के नेता (एलओपी) से न मिलें ।
पुतिन की भारत यात्रा पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, “भारत के संबंध सबके साथ हैं। विपक्ष का नेता एक दूसरा परिप्रेक्ष्य देता है। भारत का हम भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के लोग बाहर के लोगों से मिलें।” उन्होंने आगे कहा कि बाहर से आने वाले डेलिगेशन के साथ एलओपी की मीटिंग होती है, ये ट्रेडीशन है जो हमेशा से होता आया है, लेकिन वर्तमान सरकार बाहर से आने वाले डेलिगेट्स से कहती है कि एलओपी से न मिलें। ये हर बार किया जा रहा है। हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व सिर्फ सरकार नहीं, विपक्ष भी करता है, फिर भी सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष बाहर के लोगों से मिले। केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय परंपरा को फॉलो नहीं करते हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी वर्तमान सरकार पर प्रोटोकॉल को तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “ये प्रोटोकॉल है कि विदेश से आए डेलिगेट्स एलओपी से मिलते हैं, लेकिन सरकार की नीतियां ऐसी हैं कि वे किसी और की आवाज उठने ही नहीं देना चाहते, किसी और का पक्ष सुनना ही नहीं चाहते। विदेश से आए डेलिगेट्स हमेशा एलओपी से मिलते आए हैं, ये प्रोटोकॉल निभाया जाना चाहिए, वर्तमान सरकार बहुत असुरक्षित है।”
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “भारत को अपनी सुविधा और फायदे के हिसाब से काम करना चाहिए, और किसी के दबाव में आकर कुछ खरीदने या छोड़ने का फैसला नहीं करना चाहिए। हमें जो कुछ करना है, वह देशहित में करना है।”
कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने कहा, “राष्ट्रपति पुतिन का दौरा बहुत जरूरी है और 23वां शिखर सम्मेलन भारत में होने वाला है। इसका क्रेडिट सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को नहीं लेना चाहिए, क्योंकि रूस-भारत के बीच यह रिश्ता कई सालों से है, और यह एक मजबूत, भरोसेमंद पार्टनरशिप है। भारत-रूस रिश्ता मजबूत बना रहना चाहिए।”
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, “मैं उनके भारत दौरे का स्वागत करता हूं। भारत के सोवियत यूनियन के साथ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, और रूस के साथ भी हमारे बहुत मजबूत संबंध हैं। हमें रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहिए।”
सीपीआई(एम) सांसद अमराराम ने कहा, “भारत और रूस के बीच अच्छे संबंध रहे हैं और रूस ने भारत को काफी मदद दी है, जिससे आजादी के बाद कई संस्थानों को बनाने में बहुत बड़ा योगदान मिला है, लेकिन भारत से रूस पढ़ने और रोजगार करने गए सैकड़ों लोगों को फौज में कर दिया गया, जो गलत बात है। देश की सरकार को इस मुद्दे पर निश्चित रूप से चर्चा करनी चाहिए।”
राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “मुझे लगता है कि इस दौरे को बहुत उत्साह से देखा जा रहा है, और हमें इसके नतीजों का इंतजार करना चाहिए। सबसे बड़ा ऐतिहासिक संदर्भ यह है कि वैश्विक पटल पर उतार-चढ़ाव के बावजूद अगर कुछ देशों से प्रगाढ़ रिश्ता रहा है तो उसमें रूस है। इस नजरिए से चीजों को देखा जाना चाहिए। तीसरा मुल्क यह नहीं बताने की कोशिश करे कि इस रिश्ते में क्या हो और क्या न हो, किससे दूरी बनानी चाहिए और किससे नहीं बनानी चाहिए।”
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