
नई दिल्ली । RSS यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अन्य धर्मों की सदस्यता को लेकर प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने खुलकर जवाब दिया। दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान सवाल पूछा गया था कि क्या मुस्लिम (Muslim) संघ में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि मुसलमान और ईसाई समुदाय (Christian community) के लिए भी संघ खुला है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने एक शर्त भी रखी है। इससे पहले शनिवार को उन्होंने कहा था कि उन्होंने कहा कि भारत में कोई ‘अहिंदू’ नहीं है, क्योंकि सभी एक ही पूर्वजों के वंशज हैं और देश की मूल संस्कृति हिंदू है।
रविवार को भागवत ने कहा, ‘संघ में किसी ब्राह्मण को अनुमति नहीं है। किसी अन्य जाति को संघ में आने की अनुमति नहीं है। किसी मुसलमान को अनुमति नहीं है, कोई ईसाई को अनुमति नहीं है। सिर्फ हिंदुओं को अनुमति है। इसलिए अलग-अलग संप्रदाय के लोग मुसलमान, ईसाई या किसी भी संप्रदाय से आने वाले संघ में आ सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी पृथकता बाहर रखनी होगी।’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘आपकी विशेषता का स्वागत है, लेकिन जब आप शाखा के अंदर आते हैं, तो आप भारत माता के सपूत के तौर पर आते हैं। इस हिंदू समाज के सदस्य के तौर पर आते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि सभी जातियों, मुसलमान और ईसाई पृष्ठभूमि से आने वाले शाखा में शामिल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम शाखा में आते हैं, ईसाई शाखा में आते हैं और हिंदू कहलाने वाली अन्य जातियां भी शाखा में आती हैं और हम नहीं पूछते कि वे कौन हैं। हम सभी भारत माता के सपूत हैं। संघ ऐसे ही काम करता है।’ उन्होंने कहा कि संघ का नजरिया एकता और समावेश करने पर आधारित है।
कांग्रेस नेताओं पर साधा निशाना
भागवत ने संगठन पर बिना पंजीकरण के काम करने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेताओं पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए रविवार को कहा कि उनके संगठन को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। भागवत ने आरएसएस की ओर से आयोजित एक आंतरिक प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, तो क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराते?’
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया। भागवत ने स्पष्ट किया, ‘हमें व्यक्तियों के निकाय के रूप में वर्गीकृत किया गया है और हम मान्यता प्राप्त संगठन हैं।’
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