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नई शिक्षा नीति, नए बदलावों को जमीन पर उतारने को प्रतिबद्ध: मोदी


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि आखिर बच्चों को पांचवीं तक उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की सिफारिश नई शिक्षा नीति में क्यों की गई। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में सीखने की गति तेज होती है।
पीएम ने कहा, ‘इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। यह एक बहुत बड़ी वजह है, जिसकी वजह से जहां तक संभव हो पांचवीं क्लास तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर सहमति दी गई है। इससे बच्चों की नींव तो मजबूत होगी है, उनके आगे की पढ़ाई के लिए भी उनका बेस और मजबूत होगा।’ कॉन्क्लेव में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ढांच तैयार करने वाले डॉ. कस्तूरीरंगन और उनकी टीम, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और जानेमाने शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक वैश्विक मूल्यों पर खरा उतारने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारा एजुकेशन सिस्टम वर्षों से पुराने ढर्रे पर चल रहा था जिसके कारण नई सोच, नई ऊर्जा को बढ़ावा नहीं मिल सका। पीएम ने कहा, ‘हमारे एजुकेशन सिस्टम में लंबे समय से बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम यह हुआ कि हमारे समाज में उत्सुकता और कल्पना के मूल्यों को बढ़ावा देने के बजाय भेड़चाल को ही प्रोत्साहन मिलने लगी। कभी डॉक्टर, कभी वकील, कभी इंजिनियर बनाने की होड़ लगी। दिलचस्पी, क्षमता और मांग की मैपिंग के बिना इस होड़ से छात्रों को बाहर निकालना जरूरी था।’
पीएम ने आगे कहा कि जमाना क्या सोचना है से कैसे सोचना है कि तरफ बढ़ गया है। मोदी ने कहा, ‘अभी तक हमारी शिक्षा व्यवस्था में ‘वट टु थिंक’ पर फोकस रहा है जबकि इस शिक्षा नीति में ‘हाउ टु थिंक’ पर बल दिया जा रहा है। आज सूचनाओं की बाढ़ है। हर जानकारी मोबाइल पर भरी पड़ी है। ऐसे में यह जरूरी है कि कौन सी जानकारी हासिल करनी है और क्या पढ़ना है।’
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति किताबों का बोझ भी कम करेगी। पीएम ने कहा, ‘शिक्षा नीति में प्रयास किया गया है कि जो लंबा-चौड़ा सिलेबस होता है, ढेर सारी किताबें होती हैं, उसकी अनिवार्यता को कम किया जाए। अब कोशिश यह है कि बच्चों को सीखने के लिए डिस्कवरी बेस्ड, इन्क्वायरी बेस्ड, डिस्कशन बेस्ड और अनैलसिस बेस्ड एजुकेशन पर जोर दिया जाए। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी।’
उन्होंने कहा कि लोग सालों से चले आ रहे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव चाहते थे, नई शिक्षा नीति में ये सब शामिल हैं। कुछ लोगों के मन में सवाल है कि इतने बड़े रिफॉर्म को जमीन पर कैसे उतारा जाएगा। इसमें पूरे देश की भूमिका अहम रहेगी। पीएम ने कहा, ‘जहां पॉलिटिकल विल की जरूरत है, मैं पूरी तरह आपके साथ हूं।’ उन्होंने कहा, ‘हर देश अपनी शिक्षा व्यस्था को अपने देश के संस्कारों को जोड़ते हुए आगे बढ़ता है। भारत की नैशनल एजुकेशन पॉलिसी का आधार भी यही सोच है। शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की बुनियाद तैयार करेगी। युवाओं को जिस तरह के एजुकेशन की जरूर है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन बातों पर विशेष फोकस है।’
मोदी ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए, भारत के नागरिकों को और सशक्त करने के लिए एजुकेशन पॉलिसी में खास जोर दिया गया है। भारत के छात्र नर्सरी में हों या फिर कॉलेज में, वो साइंटिफिक तरीके से पढ़ेंगे। तेजी से बढ़ती हुई जरूरतों के हिसाब से पढ़ेंगे तो राष्ट्र निर्माण में अपनी-अपनी भूमिका निभा पाएंगाे।

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