
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने गोल्ड लोन (Gold Loan) के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब बैंक (Bank) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (Non-Banking Financial Companies) केवल उसी व्यक्ति को गोल्ड लोन दे सकेंगी, जो सोने का वास्तविक मालिक हो। यानी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गिरवी रखे गए या पुनः गिरवी सोने के आधार पर लोन देना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
आरबीआई का कहना है कि यह कदम सोने के कर्ज कारोबार में पारदर्शिता बढ़ाने और जोखिम को घटाने के उद्देश्य से उठाया गया है। अब कोई भी बैंक या एनबीएफसी ऐसे ऋण नहीं देगा जिनमें गिरवी रखा गया सोना पहले से किसी अन्य उधारकर्ता या संस्था के पास गिरवी हो। नई व्यवस्था एक अप्रैल 2026 से लागू होगी, जिससे बैंकों और एनबीएफसी को अपनी मौजूदा गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की समीक्षा और समायोजन का समय मिलेगा।
यह निर्णय उन साहूकारों, मनीलेंडर्स और बिचौलियों पर सीधा असर डालेगा जो ग्राहकों का सोना गिरवी रखकर बैंकों या वित्तीय संस्थानों से दोबारा कर्ज लेते थे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नियम से गोल्ड लोन क्षेत्र में अनुशासन और निगरानी बेहतर होगी तथा बैंकों का क्रेडिट जोखिम घटेगा। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे लोन जारी करते समय सोने के स्वामित्व की पूरी जांच करें और नियमित ऑडिट प्रणाली को सुदृढ़ बनाएं।
ब्याज दर को उचित स्तर पर रखें
वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने बृहस्पतिवार को छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए अपनी ब्याज दरें उचित रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पैसे की सख्त जरूरत होती है, वे ऊंची ब्याज दर पर उधार ले सकते हैं। लेकिन वे उसे वापस नहीं कर पाते, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय संस्थानों में दबाव वाली संपत्तियों में वृद्धि होती है। इस क्षेत्र में दबाव के कारण खातों की संख्या घटकर मार्च, 2025 के अंत तक 3.4 लाख हो गई है, जो 31 मार्च, 2024 को 4.4 लाख थी।
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