खेल देश

बूढ़े माता-पिता ने अपने दवाई के पैसों से करवाई बेटे को तैयारी, आज ओलंपिक जा रहा खेलने

नई दिल्‍ली। गरीबी इंसान की जिंदगी में आती है तो कई लोगों के तो हौसले टूट जाते हैं लेकिन कई उस दौर में खुद को इतना मजबूत बना लेते हैं कि मुश्किल से मुश्किल दौर उन्हें तोड़ नहीं पाता। राहुल रोहिल्ला (Rahul Rohilla) की कहानी कुछ ऐसी ही है। वो 20 किलोमीटर पैदलचाल स्पर्धा (20 kilometer walking competition) में टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के लिए चयनित हुए हैं।
साल 2013 में जब राहुल रोहिल्ला (Rahul Rohilla) ने खेलना शुरू किया था तो दिन-रात एक ही सपना देखते थे कि वो एक दिन ओलंपिक खेलेंगे, देश के लिए खेलेंगे। फिर उनके माता-पिता बीमार रहने लगे। पिता इलैक्ट्रिशियन का काम करते हैं और मां गृहिणी हैं, घर के हालात अच्छे नहीं थे। हर माह उनके लिए करीब 10-12 हजार रुपये की दवाई आने लगी।



राहुल रोहिल्ला (Rahul Rohilla) ने बहुत कठिन परिस्थिति में बहुत ही कठिन परिश्रम करके यह मुकाम हासिल किया है जिसका वह असली हकदार है और हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि इस कठिन परिश्रम का फल राहुल रोहिल्ला (Rahul Rohilla) को टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में अवश्य प्राप्त हों।
मां-बाप बीमार थे। राहुल की डाइट और वॉकिंग के जूतों का खर्च मुश्किल हो गया। वो रात-रातभर सो नहीं पाते थे। यहां तक कि कुछ समय बाद उनके पेरेंट्स ने उन्हें झूठ बोला, कहा कि वो ठीक हैं। उन्होंने अपने दवाई के पैसे आधे कर दिए ताकि राहुल फिर से खेल पाए। इसके बाद वो फरवरी 2017 में खेल कोटे से आर्मी में भर्ती हुए। इसके बाद उन्होंने वहीं से तैयारी शुरू की। कड़ी मेहनत की और अब ओलंपिक में खेलने के लिए जा रहे हैं।
पिता जी इलेक्ट्रीशियन है, पंखे रिपेयर का काम करते है। आर्थिक परिस्थितियों से राहुल ने एक समय खेल छोड़ दिया था। दोबारा मेहनत कर 2017 में सेना में भर्ती हुए। आज अपनी इच्छा शक्ति और मेहनत के बलबूते पर ओलंपिक्स में खेलने जाएंगे। हरियाणा के इस सपूत के जज्बे को सलाम।
राहुल ने बताया कि ओलंपिक क्वालीफाई करने के लिए 20 किलोमीटर पैदलचाल एक घंटा 21 मिनट में पूरी करनी होती है। साल 2019 में रांची में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने यह दूरी एक घंटा 21 मिनट और 59 सेकंड में पूरी की थी। 59 सेकंड का समय ज्यादा लगने के कारण ओलंपिक में चयन नहीं हो पाया। मगर एशियाड में हो गया था। बाद में कोरोना के कारण ये गेम्स रद्द हो गए थे।
उन्हें उनके ताउ के लड़के ने काफी हिम्मत दी। ना सिर्फ मानसिक तौर पर बल्कि गेम की तकनीक समझाने में भी काफी सहायता की। इसके बाद उन्होंने रांची में एक घंटा 20 मिनट 26 सेकंड में 20 किलोमीटर की दूरी पूरी करके ना सिर्फ रजत पदक जीता, बल्कि ओलंपिक के लिए भी अपना टिकट पक्का किया। उम्मीद है कि देश का ये बेटा टोक्यो ओलंपिक 2021 में देश का नाम चमका देगा।

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