
नई दिल्ली: ऑनलाइन गेमिंग (Online gaming) पर कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार (Central government) एक बिल लेकर आई है. इसका नाम है ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक’, जो कि लोकसभा से पारित हो गया है. बिल का मकसद ऑनलाइन सोशल गेम्स और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देते हुए ऑनलाइन गेमिंग को कंट्रोल करना है. हाल ही में पेश किए गए इस विधेयक में ऑनलाइन मनी गेम खेलने वालों के लिए कोई सजा नहीं होगी. केवल सर्विस प्रोवाइडर, विज्ञापनदा देने वालों, प्रमोटरों और ऐसे खेलों को आर्थिक रूप से समर्थन करने वालों को सजा भुगतनी होगी.
एनएनआई के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि ऑनलाइन गेम खेलने वालों के लिए कोई सजा नहीं. पीड़ितों के लिए कोई सजा नहीं. बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया ऑनलाइन गेमिंग विधेयक ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देता है. साथ ही ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं, विज्ञापनों और उनसे संबंधित वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाता है. सरकार ने कहा कि इस विधेयक का मकसद ऑनलाइन मनी गेम्स की पेशकश, संचालन या सुविधा पर पूरी तरह से बैन लगाना है.
सूत्रों ने बताया कि पहले ई-स्पोर्ट्स को कोई कानूनी समर्थन नहीं था. अब ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के तीसरे वर्ग के साथ बातचीत की गई है. जीएसटी लगाने की भी कोशिश की लेकिन चुनौतियां जारी रहीं. लोगों की भलाई के लिए समाज को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. देश में प्रतिस्पर्धी खेल के एक वैध रूप के रूप में मान्यता प्राप्त ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय एक ढांचा स्थापित करेगा. सरकार ऑनलाइन सोशल गेम्स को भी बढ़ावा देगी.
सूत्रों के अनुसार, ऑनलाइन मनी गेम समाज के लिए एक बड़ी समस्या है. आत्महत्या, हिंसक हमलों और अन्य चुनौतियों की कई खबरें सामने आई हैं. इन खेलों के से धोखाधड़ी और ठगी हो रही है और कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं. सरकार का मानना है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़ी लत, वित्तीय नुकसान और यहां तक कि आत्महत्या जैसे गंभीर परिणामों को ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाकर रोका जा सकता है.
कानून लागू होने के बाद नियमों का पालन न करने पर ऑनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश या सुविधा प्रदान करने पर 3 साल तक की कैद और/या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. मनी गेम्स का विज्ञापन करने पर 2 साल तक की कैद और/या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. मनी गेम्स से संबंधित वित्तीय लेनदेन के लिए 3 साल तक की कैद और/या 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
ऐसा अपराध दोबारा करने पर 3-5 साल की कैद और 2 करोड़ रुपये तक के जुर्माने सहित बढ़ी हुई सजा हो सकती है. प्रमुख धाराओं के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे. केंद्र सरकार अधिकारियों को अपराधों से जुड़ी डिजिटल या संपत्ति की जांच, तलाशी और जब्ती का भी अधिकार दे सकती है. साथ ही अधिकारियों को संदिग्ध अपराधों के कुछ मामलों में बिना वारंट के प्रवेश करने, तलाशी लेने और गिरफ्तार करने का अधिकार होगा.
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