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नगर निगम ऑफिस, कार, एसी… कुर्क करने का आदेश, पाटियाला कोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

July 11, 2025

पटियाला: पंजाब (Punjab) के पटियाला (Patiala) की एक लोकल कोर्ट (Local Court) ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसको जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. कोर्ट ने एक मृतक फोर्थ कैटेगरी के कर्मचारी (Employee) के परिवार का 3.2 लाख बकाया रुपये न चुकाने पर नगर निगम (Municipal Corporation) को लेकर अहम फैसला सुनाया.

अदालत ने बकाया न चुकाने पर नगर निगम के कार्यालय भवन, नगर आयुक्त की सरकारी कार और फर्नीचर, कंप्यूटर, प्रिंटर, पंखे और एसी सहित कार्यालय की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है. बेलिफ को 23 जुलाई तक वारंट तामील करना है. अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई के लिए तय की है. साथ ही निगम को बकाया राशि चुकाने या कुर्क की गई संपत्तियों की संभावित नीलामी सहित आगे की कार्रवाई का सामना करने का आदेश दिया है.

इस मामले में आदेश पाटियाला के सिविल जज (जूनियर डीविजन) ने पास किया है. वकील पुनीत शर्मा ने कर्मचारी का केस पेश किया. दरअसल, मृतक कर्मचारी, वरिंदरजीत सिंह की भर्ती 2000 में हुई थी, लेकिन एक लंबित मामले की वजह से साल 2001 में उन्हें बरखास्त कर दिया गया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने साल 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया और नगर निगम को उन्हें बहाल करने और सेवा से हटाए जाने की पीरियड के लिए भत्ते और ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया.


निगम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उसकी अपील खारिज कर दी गई और उसे वरिंदरजीत को बहाल करना पड़ा. उनके वकील ने तर्क दिया कि वरिंदरजीत का जॉब के पीरियड के दौरान प्रमोशन नहीं किया गया. साल 2018 में वो उसी पद पर रिटायर हुए जिस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया था.

रिटायर होने के बाद साल 2021 में वरिंदरजीत की मौत हो गई. उनके पीछे उनका एक गोद लिया हुआ बेटा समनजोत सिंह रह गया. बार-बार आदेश देने के बावजूद, निगम ने मूलधन के रूप में सिर्फ 60,485 रुपये का आंशिक भुगतान ही जारी किया, जिससे ब्याज सहित 3.2 लाख रुपये से ज्यादा की राशि बकाया रह गई.

2 जुलाई को अदालत ने निगम को अंतिम चेतावनी जारी की, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया और बुधवार को यह आदेश दिया गया. अदालत ने अगली सुनवाई 27 जुलाई के लिए तय की है और निगम को बकाया राशि चुकाने या आगे की कार्रवाई का सामना करने का आदेश दिया है, जिसमें कुर्क की गई संपत्तियों की संभावित नीलामी भी शामिल है.

वकील शर्मा ने कहा, अदालत का यह फैसला सरकारी निकायों को एक कड़ा संदेश देता है कि आदेशों का उल्लंघन करने के गंभीर नतीजे होंगे. अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो अदालत कुर्क की गई संपत्तियों की बिक्री का आदेश दे सकती है.

नगर आयुक्त परमवीर सिंह ने कहा, हमारी कानूनी टीम मामले की जांच कर रही है. कानूनी टीम के अनुसार, अदालत ने संपत्ति कुर्क नहीं की है, बल्कि कुर्की वारंट जारी किया है.

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