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‘जल-थल-आकाश में सीमा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तत्पर हैं हमारे जवान’

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन हमारी थल सेना, वायु सेना और नौ सेना के जवान दुश्मन के किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारत किसी भी परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है।


पिछले साल देश को कई मोर्चों पर विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ा

राष्ट्रपति ने 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए पूर्वी लद्दाख में चीन की आक्रामक गतिविधियों और कोरोना महामारी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष देश को कई मोर्चों पर विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ा। सीमा पर हमें एक विस्तारवादी कार्रवाई का सामना करना पड़ा जिसे हमारे बहादुर जवानों ने विफल कर दिया। दुश्मन की नापाक कोशिश को नाकाम बनाने में वीर जवानों ने अपनी शहादत दी, देश उनके प्रति कृतज्ञ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हितों की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी।

सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर देशवासियों को गर्व

राष्ट्रपति ने सीमा पर तैनात सैनिकों के समक्ष विपरीत परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, “सियाचिन व गलवान घाटी में, शून्य से 50 से 60 डिग्री नीचे तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में – धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में – हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं।” उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।

कोविंद ने सुरक्षा बलों, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिसकर्मियों को जो अपने परिवार से दूर रहते हुए भी कर्तव्य निभाते हैं उन्हें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं।

नए कृषि कानून: आरम्भ में इन सुधारों को लेकर आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं

राष्ट्रपति ने जवानों के साथ ही देश के किसानों के योगदान की भी चर्चा की और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। नए कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक सुधारों को बढ़ाते हुए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि कृषि और श्रम क्षेत्र में ऐसे सुधार किये गये हैं जो लम्बे समय से लंबित थे। आरम्भ में इन सुधारों को लेकर आशंकाएं उत्पन्न हो सकती हैं लेकिन सरकार किसानों के हितों के लिए पूरी तरह समर्पित है।

कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों और कृषि क्षेत्र के योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “ विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी। यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है। ”

राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष से लेकर खेत-खलिहानों, शिक्षण संस्थाओं से लेकर अस्पतालों तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे कामकाज को बेहतर बनाया है। गणतंत्र दिवस के शुभअवसर पर कृतज्ञ राष्ट्र किसानों, जवानों और वैज्ञानिकों का अभिनंदन करता है।

कोरोना वैक्सीन विकसित कर भारतीय वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास

कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए देश में वैक्सीन विकसित करने की उपलब्धि का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस की संरचना का पता लगाने तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है।” इस सिलसिले में उन्होंने देश व्यापी टीकारण अभियान का भी उल्लेख किया जो इतिहास में अपने तरह का सबसे बड़ा प्रकल्प होगा।



कोविंद ने कहा कि संविधान में निहित बंधुत्व या भाईचारे के संदेश के बल पर ही देश कोरोना वायरस जैसी महामारी का कारगर ढंग से मुकाबल कर सका। उन्होंने इसके लिए डॉक्टरों, नर्सों और सफाई कर्मियों के योगदान की चर्चा की।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने नए भारत की आधारशिला रखी

कोरोना महामारी के कारण शिक्षा क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ इस महामारी के कारण, हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी की शिक्षा प्रक्रिया के बाधित होने का खतरा पैदा हो गया था। लेकिन हमारे संस्थानों और शिक्षकों ने नई टेक्नॉलॉजी को शीघ्रता से अपनाकर यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की शिक्षा निरंतर चलती रहे।” उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में कहा, पिछले वर्ष घोषित इस नीति में प्रौद्योगिकी के साथ-साथ परंपरा पर भी ज़ोर दिया गया है। इसके द्वारा एक ऐसे नए भारत की आधारशिला रखी गई है जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ज्ञान-केंद्र के रूप में उभरने की आकांक्षा रखता है।

देश में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बहाल हो रही हैं

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि देश में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बहाल हो रही हैं। उन्होंने कहा, “हाल ही में दर्ज की गयी वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) की रिकॉर्ड वृद्धि और विदेशी निवेश के लिए आकर्षक अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का उभरना, तेजी से हो रही हमारी ‘इकनॉमिक रिकवरी’ के सूचक हैं।”

राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है। इस अभियान के तहत माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज़ को बढ़ावा देकर तथा स्टार्ट-अप इको सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाकर आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न करने के भी कदम उठाए गए हैं। आत्म-निर्भर भारत अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है।



राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते हए प्रभाव और साख का जिक्र करते हुए कहा कि भारत असाधारण समर्थन के साथ सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया है। दुनिया के प्रमुख देशों के साथ हमारे संबंधों में गहराई आई है।

राष्ट्रपति ने सामाजिक समानता और संवैधानिक नैतिकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक नैतिकता का अर्थ है कि संविधान में निहित मूल्यों को सबसे ऊपर माना जाए।

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