
भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर हुए उप चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले 67 प्रतिशत प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले। भाजपा-कांग्रेस, बसपा, अन्य दलों और निर्दलियों को मिलाकर कुल 355 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। इसमें से 236 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। उपचुनाव के रिजल्ट से साफ है कि निर्दलियों के चुनाव मैदान में उतरने से पार्टियों के उम्मीदवारों को फायदा-नुकसान हुआ या नहीं, लेकिन वोटर्स के सामने नोटा की ताकत बढ़ी है और उनके सामने निर्दलियों को भी नापसंद किए जाने का विकल्प नोटा बनता जा रहा है।
नोटा ने भले ही किसी बड़े दल के उम्मीदवार का खेल नहीं बिगाड़ा, लेकिन उसकी ताकत का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि अनूपपुर में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट नोटा पर पड़े हैं। जबकि यहां कुल 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। 18 सीटों पर नोटा चौथे और 4 सीटों ब्यावरा, आगर, सांची और मांधाता पर पांचवें नंबर पर रहा।
दो सीटों पर बसपा से ज्यादा वोट
उपचुनाव में बसपा ने 28 में से 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। मप्र में बसपा के परफार्मेंस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनूपपुर और मांधाता दो ऐसी सीटें हैं जहां बसपा उम्मीदवार से ज्यादा वोट नोटा पर पड़े। अनूपपुर में बसपा को 1731 वोट मिले, जबकि नोटा पर 2447 वोट पड़े। यहां नोटा तीसरे नंबर पर रहा। इसी तरह मांधाता में बसपा को 1561 वोट मिले, जबकि नोटा पर 1642 वोट। आगर, नेपानगर और सांवेर में बसपा के उम्मीदवारों और नोटा को मिले वोट में ज्यादा अंतर नहीं है।
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