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देश के इस हिस्‍से में शिफ्टों में काम करते हैं किसान, अपने ही खेतों में आई कार्ड से मिलती है एंट्री

January 28, 2022

नई दिल्‍ली । भारत (India) में कई जगहें ऐसी भी हैं, जहां किसानों (farmers) को अपने खेतों में शिफ्टों (shifts) में काम करना पड़ता है. वे क्या फसल उगाएंगे, इसका अधिकार भी उनके पास नहीं होता है.

भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) की सहरद पर बसे किसानों को इन्हीं बंदिशों के बीच खेती को मजबूर होना पड़ता है. उनके खेत तो हिंदुस्तान की सीमा में हैं लेकिन सुरक्षाबलों की ओर से तैयार की गई बाड़ के उस पार हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसानों को निर्देश होते हैं कि वे 3 फुट से ज्यादा ऊंची फसल अपने खेत में नहीं उगा सकते. वे जब भी अपने खेतों में जाते हैं तो उन्हें सुरक्षाबलों की ओर से दिया गया आई कार्ड पहनना होता है.


रोज एक नई जंग लड़ने को मजबूर किसान
पंजाब (Punjab) में भारत और पाकिस्तान (India-Pakistan) की सरहद पर जंग का खतरा है. गोली कभी भी चल जाती है. इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना बॉर्डर पर हर वक्त तैनात है. लेकिन इंडिया पाक बॉर्डर पर रहने वाले लोग रोज़ एक अलग ही जंग लड़ रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे इन गावों में रहने वाले हजारों किसान ऐसे हैं, जिनके खेत बॉर्डर के पार पड़ते हैं.

सबूत दिखाकर मिलती है खेतों में एंट्री
इन्हें अपने ही खेतों में जाने के लिए रोज सबूत देकर ही एंट्री मिलती है. ये ऐसे खेत हैं जिनमें कौन सी फसल उगेगी, ये भी नियम कानून ही तय करते हैं. इन गांवों के निवासियों की मुश्किलें देश के हर इंसान, हर किसान से अलग हैं. इन किसानों की समस्याओं के लिए कोई किसान आंदोलन नहीं होता.

हालात खराब होने पर छोड़ने पड़ जाते हैं घर
कभी ड्रोन की घुसपैठ, कभी नशे की तो कभी आतंकी की घुसपैठ को रोकने के लिए सरहद पर कंटीली तारें लगी हुई हैं. ये कंटीली तारें बॉर्डर की सुरक्षा के लिए लगी तो हैं लेकिन भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे अटारी के निवासी इन तारों की चुभन हर वक्त महसूस करते हैं. गांवों में रहने वाले सिख बताते हैं कि हालात खराब हो जाएं तो घर छोड़कर पीछे जाना पड़ता है. ड्रग्स केस में नाम आ जाए तो कार्ड नहीं बनते. बॉर्डर पार गांव में कोई नहीं आता.

पाकिस्तान से सटे हैं पंजाब के 6 जिले
पंजाब (Punjab) में 553 किलोमीटर का बॉर्डर है, जो पाकिस्तान (Pakistan) से सटा है. पंजाब के 6 जिलों फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट और फाजिल्का के कई गांव ऐसे हैं, जहां कई किसानों के खेत बॉर्डर पर यानी अंतराष्ट्रीय सीमा की जद में हैं. जीरो लाइन यानी पाकिस्तान से एकदम सटे हुए इन खेतों में काम करने की रूल बुक बहुत लंबी है.

सरहद के खेतों की रूल बुक के मुताबिक खेत में जाने के लिए किसानों को BSF से आईडी कार्ड मिलता है. हर तीन साल में इस कार्ड को रिन्यू करना होता है. प्रॉपर्टी के कागज़ होने पर ये कार्ड बनाया जाता है. किसान का कोई आपराधिक रिकॉर्ड ना हो तो ही यह कार्ड बनाया जाता है.

कोहरा होने पर खेतों में नहीं जा सकते
खेत में काम करने का वक्त तय है और वह है सुबह 9 से शाम 5 बजे तक. अमूमन हफ्ते में तीन दिन ही खेतों में जाने दिया जाता है. कोहरा हो तो खेत में नहीं जा सकते. 3 फुट से ऊपर हाइट की फसल सीमा के खेत में नहीं उगा सकते ताकि दुश्मन को छिपने का मौका ना मिले. खेती के हर सामान और कार्ड धारी किसान और मजदूरों की रोजाना चेकिंग होती है. कोई गड़बड़ी हुई तो जिम्मा किसान का होता है. इन सरहदी खेतों में खेती बीएसएफ (BSF) के जवानों की निगरानी में की जाती है.

तलाशी अभियान में नष्ट हो जाती है फसल
किसान पाकिस्तान (Pakistan) के बमों और ग्रेनेड से ही खौफ में नहीं हैं. दुश्मन देश के ड्रोन नई मुसीबत बन गए हैं. ड्रोन ढूंढने की कोशिश में जो combing operation होता है, उसमें खेत बर्बाद हो जाते हैं. पंजाब (Punjab) से लगते 553 किमी. लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर पर तस्करों की गतिविधियां बढ़ गई हैं. दो साल में 50 से ज्यादा बार पाकिस्तानी ड्रोन इस ओर आए है. जिनके जरिए पंजाब में नशे की सप्लाई हो रही है.

पिछले 3 साल से मुआवजे का इंतजार
बॉर्डर पर खेत होने का जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई के लिए सरकार से 10 हजार प्रति acre प्रतिवर्ष का मुआवजा दिया जाता है. हालांकि पिछले तीन साल से किसानों को मुआवजे का इंतजार है.

क्या निकल पाएगा समस्या का हल?
दोनों देशों में रेल संपर्क टूटने के बाद अटारी का रेलवे स्टेशन इन दिनों बियाबान पड़ा है. कभी ये कारोबार और दोनों देशों के बीच रिश्तों का जरिया था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. स्टेशन पर बनी पीर बाबा की मजार है. यहां हर धर्म की पूजा होती है लेकिन यहां के बाबा का मानना है कि जवान (BSF) सरहद तो बचा रहे हैं लेकिन बेरोजगारी और नशे से पंजाब की सरहद पर बने इन गावों को ना कोई सरकार बचा पाई है और ना ही ऊपरवाला.

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