
नई दिल्ली. राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) में जिम (gym) में पावरलिफ्टिंग (Powerlifting) की प्रैक्टिस करते समय नेशनल खिलाड़ी (National Players) यष्टिका आचार्य (Yashtika Acharya) की दर्दनाक मौत हुई. जिस किसी ने उनका वायरल वीडियो देखा, वह सन्न रह गया. खुद पावरलिफ्टिंग करने वाले खिलाड़ी भी गमजदा दिखे.
यष्टिका ने गर्दन पर 270 किलो का वजन उठाया था, इस दौरान वह डिस्बैलेंस हो गई, पूरा वजन उसकी गर्दन पर आ गया और उन्होंने दम तोड़ दिया. आखिर यष्टिका से पावर लिफ्टिंग करते वक्त क्या चूक हुई? इस बारे में हमने पावर लिफ्टिंग के खिलाड़ियों, कोच और एसोसिएशन से जुड़े लोगों से बात की और इस खेल से जुड़ी बारीकियों, नियमों को समझने की कोशिश की. वह यह भी जाना कि इस खेल में दम दिखाते हुए किन बातों को ध्यान रखना चाहिए.
कुल मिलाकर इन एक्सपर्ट और पावर लिफ्टिंग से जुड़े लोगों से बात करते हुए कई अहम चीजों के बारे में जानकारी मिली. इन सभी ने बताया कि यष्टिका और उनके सपोर्ट कर रहे कोच, लिफ्टर और लोडर से क्या गलतियां हुईं, जिस जिम में वो प्रैक्टिस कर रहीं थीं, वहां क्या कमी थी.
Shocking news, #NationalGames Gold Madelist Powerlifter Yashtika Acharya (17 years old) d!ed in the gym While lifting 270 kg weight, the rod fell on her neck in #Bikaner #Rajasthan. pic.twitter.com/t5H4AKO7li
— Senior Sailor (@SeniorSailorIN) February 20, 2025
यूपी पॉवर लिफ्टिंग के मानद सचिव अनुज कुमार, पावर लिफ्टिंग की इंटरनेशनल खिलाड़ी निधि सिंह पटेल, उत्तराखंड की पॉवरलिफ्टिंग खिलाड़ी कविता देवी, पावर लिफ्टिंग कोच कमलापति त्रिपाठी से विस्तार से बात की. इन सभी ने यष्टिका आचार्य के वीडियो को देखकर बताया कि 17 साल की खिलाड़ी से कहां कमी रह गई? यह सभी खिलाड़ी के इस तरह हादसे में निधन पर निराश दिखे.
यष्टिका आचार्य के मामले में प्राथमिक कमी पैर का बैलेंस बिगड़ना रहा, वहीं जहां वो खड़ी थीं, वहां रबर के प्लैंक लगाए गए थे, जिस कारण वो वजन उठाते ही डांवाडोल हो गई.
अनुज कुमार ने कहा- जब इतना भारी वजन (270 किलोग्राम) उठा रहे तो तो वेट बार के आसपास मजबूत लोग होने चाहिए. वहीं पावरलफ्टिंग में यह भी बहुत जरूरी है कि जब तक खिलाड़ी स्टेबल ना हो जाए, तब तक वेट को लिफ्ट नहीं करना चाहिए. यष्टिका के मामले को देखा जाए तो उन्होंने खुद ही वेट उठाने की कोशिश की. जब हम कई बार मैचों में बतौर रेफरी भी इवेंट को देखते हैं तो यह जरूरी है कि जब तक बॉडी स्टेबल ना हो, तब तक हम खिलाड़ी को वेट उठाने की अनुमति नहीं देते हैं.
वहीं कविता देवी ने कहा- पावर लिफ्टिंग में तीन पोजीशन होती हैं, 1: स्कॉट, 2: बेंचप्रेस (बेंच पर लेटकर), 3: डेडलिफ्ट (वेट को घुटनों तक जाया जाता है). अगर इन तीनों ही इवेंट में हम बेस्ट करते हैं तो हमारा मेडल प्रदर्शन के आधार पर आता है. यष्टिका स्कॉट (उठकर बैठना) कर रही थीं. सबसे खास बात तो यह है कि हम भी बतौर खिलाड़ी वेट उठाते हैं तो देखते हैं कि क्या वाकई वह हमसे उठ सकता है या नहीं? दो कदम पीछे कर अक्सर स्कॉट वाली पोजीशन लेते हैं. लेकिन वेट उठाते ही यष्टिका के मामले में बैलेंस बिगड़ गया है. ये दर्दनाक है, पैरों का संतुलन शुरुआत में ही खराब हो गया. इसी वजह से सपोर्टर और लोडर इस मामले में कुछ नहीं कर पाए और हादसा हो गया.
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अनुज कुमार ने कहा ‘इंटरनेशनल पॉवर लिफ्टिंग’ के प्रोटोकॉल और नियमों के मुताबिक कम से कम तीन लोग खिलाड़ी के पास होने चाहिए. इनमें दो साइड में लोडर (ये अक्सर ऑर्गनाइजर से जुड़े लोग होते हैं) और पीछे की तरफ एक सपोर्टर (खिलाड़ी का कोच या उससे उसका सपोर्ट स्टाफ) होता है. एक बार जब खिलाड़ी की बॉडी वजन उठाने के लिए स्टेबल हो जाती है तो पीछे वाले वाला सपोर्टर हट जाता है, लेकिन साइड में खड़े दोनों मौजूद वहीं रहते हैं.
इंटरनेशनल लेवल पर रेफरी भी वेट को स्कॉट करने का निर्देश खिलाड़ी को तभी देता है, जब उनको लगता है कि खिलाड़ी पूरी तरह से स्टेबल हो गया है. कुल मिलाकर लोडर और सपोर्टर खिलाड़ी को स्टेबल रहने के लिए होते हैं.
चूंकि यह मामला जिम का है, ऐसे में वहां ज्यादातर इस चीज को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता है. कई दफा इस तरह की गलती तब भी होती हैं, जब किसी खिलाड़ी को अपनी शक्ति का अहसास नहीं होता है, वेटलिफ्टर ने किस तरह का न्यूट्रिशन लिया है, ये सभी बहुत जरूरी हैं.
यष्टिका मामले में पावरलिफ्टिंग करते हुए क्या गलतियां हुईं?
बातचीत के दौरान अनुज कुमार ने कहा- जो वीडियो है, उसमें साफ तौर पर दिख रहा है खिलाड़ी (यष्टिका) की हाइट थोड़ी कमी रही होगी, इसलिए उसने संभवत: रबर के प्लैंक (मैट) लगाए हैं. उस पर खड़े होकर उसने लिफ्ट किया है. चूंकि इंटरनेशनल लेवल या नेशनल लेवल पर जहां पावरलिफ्टिंग होती है, वो सतह हार्ड (लकड़ी की सतह, फिर ग्रिपिंग वाली कारपेट) होती है. इन रबर के प्लैंक के कारण ही उसका बैलेंस बिगड़ा है. अगर उसने लकड़ी के पाटा का का यूज किया होता तो संभवत: ऐसा नहीं होता.
वहीं स्कॉट स्टैंड (जहां वेट वाली रॉड रखी जाती है) भी लिफ्टर की हाइट के अनुसार होता है. यह कभी नहीं होता है कि लिफ्टर (खिलाड़ी) को इस वजन को उठाने के लिए इस तरह से एडजस्ट करना होता है.
इंटरनेशनल पावर लिफ्टर निधि सिंह पटेल ने कहा- वीडियो में साफ है कि शुरुआत में मैट पर जब वो वेट लेकर गईं, उसी मैट से पैर डिसबैलेंस हो गया, यहीं से गलती हुई. अगर मैं 270 KG का वेट उठा रही होती तो यह कोशिश करती कि लोडर और सपोर्टर उनकी तरफ ध्यान देते, खिलाड़ी (यष्टिका) पर पूरा वजन नहीं छोड़ना चाहिए था. जब यष्टिका गिरीं तो साइड में खड़े लोगों को थोड़ी एक्टिवनेस दिखानी चाहिए थी. वहीं मैट भी ऊपर-नीचे रखे थे.
यूपी के मिर्जापुर में रहने वाले पावर लिफ्टिंग कोच कमलापति त्रिपाठी भी मैट के डिस्बैलेंस होने को हादसा की प्रमुख वजह माना. उन्होंने कहा इतने वजन के बाद जब व्यक्ति डिस्बैलेंस हो जाए तो फिर उसे खुद को संभालना मुश्किल हो जाता है. पैर मुड़ा तो पूरा वजन गर्दन पर आ गया. इस मामले में ट्रेनर को थोड़ा ध्यान रखना चाहिए था. वहीं इंटरनेशनल लेवल पर ऐसा होता है तो वेट अगर आगे की तरफ गिरे तो वो स्टैंड पर रुक जाता है, हां इंजरी हो सकती है, लेकिन इस तरह के हादसे नहीं होते हैं.
पावर लिफ्टिंग करते हुए किन बातों का रखें ध्यान?
हमने पावर लिफ्टिंग से जुड़ी तकनीक और किन चीजों को ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में इन एक्सपर्ट से जानने की कोशिश की. इस पर अनुज कुमार ने कहा- मानव शरीर रचना (Anatomy ) के बारे में भी खिलाड़ियों को पता होना चाहिए. किन चीजों से खतरा हो सकता है. वहीं भारत के लिहाज से देखें तो फूड-सप्लीमेंट को लेकर खिलाड़ियों को इसकी जानकारी का अभाव है.
पॉवर लिफ्टर कविता देवी ने कहा- पहले नई जनरशेन में ज्यादा वेट उठाने की कोशिश करते हैं, शुरुआत खाली रॉड से करनी चाहिए, फिर इसके बाद धीरे-धीरे वेट बढ़ाना चाहिए. कोच जब तक अनुमति ना दे तब तक ज्यादा वजन ना उठाएं, अकेले तो इतना वजन कभी भी नहीं उठाना चाहिए. वहीं निधि सिंह ने कहा कि कई बार शरीर आपका काम ना कर रहा हो तो जबरन कोशिश नहीं करनी चाहिए. नए बच्चों को दूसरों को देखकर वजन नहीं उठाना चाहिए.
हादसे में क्या 5 गलतियां हुईं?
1: जहां यष्टिका आचार्य वेट लिफ्ट कर रही थीं, वो प्लेटफॉर्म समान नहीं था.
2: इसी वजह से उनका पैर डिस्बलैंस हो गया.
3: वेट छोड़ देना चाहिए था.
4: लोडर-सपोर्टर को और एक्टिव होना चाहिए था.
5: वेट को बहुत ज्यादा होल्ड नहीं किया
क्या वेटलिफ्टिंग में बदला जाना चाहिए ये नियम?
पॉवर लिफ्टर कविता देवी ने यष्टिका आचार्य जैसी घटना उनके साथ भी हुई, हालांकि उनका तब वजन उतना नहीं था. कविता ने कहा- 10 दिन पहले उनके गर्दन पर भी वजन गिर गया था, लेकिन कोच (110 किलो का उठा रहे थे) ने पीछे से संभाल लिया. कविता ने इस दौरान कहा कि गर्दन से जुड़ी जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, ऐसे में कुछ नियम बदलने चाहिए. गर्दन के पास भी कुछ सपोर्ट लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए. हालांकि कविता ने कहा कि यष्टिका ने पूरी सपोर्ट किट पहनी हुई थी.
स्कॉट करते हुए वजन अगर किस तरफ छोड़ना चाहिए?
इंटरनेशनल पावर लिफ्टर निधि सिंह पटेल ने बताया कि एक बार वह बेंच पर हाफ स्कॉट पोजीशन पर 220 KG वेट उठा रहीं थीं, तो वजन उठाते ही वो डिस्बैलेंस हो गईं. इस दौरान बेंच भी टेढ़ा हो गई. चूंकि उनके आसपास तब कोई आसपास नहीं था तो उन्होंने तुरंत ही वजन छोड़ दिया. इस दौरान ध्यान देने वाली बात है कि पावर लिफ्टिंग में स्कॉट पोजीशन लेते हुए कभी भी डिस्बैलेंस हो तो वेट को पीछे की ओर छोड़ देना चाहिए, गर्दन की तरफ नहीं लाना चाहिए. यष्टिका आचार्य वाले मामले में भी अगर वजन पीछे छोड़ा गया होता तो शायद पीछे सपोर्टर ने उसको संभाल लिया होता. खिलाड़ी अगर वजन ज्यादा उठा रहे होते तो साइड वाले दोनों लोगों (लोडर) ने और पीछे खड़े (सपोर्टर) को ज्यादा चौकन्ना रहना चाहिए, वे मजूबत होने चाहिए.
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