
इंदौर। 10 साल पहले मध्यप्रदेश में 100 रुपए से अधिक मूल्य वाले स्टाम्प पेपर बंद कर दिए थे और उसकी जगह डिजीटली यानी ई-स्टाम्प ही चलन में लाए गए। अचल सम्पत्तियों की रजिस्ट्री में पहले बड़ी संख्या में स्टाम्प पेपर लगते थे, जिससे रजिस्ट्रियां अधिक पेपर की रहती थी। मगर अब ई-रजिस्ट्री के चलते डिजीटली स्टाम्प इस्तेमाल होते हैं। अब 100 रुपए से भी कम मूल्य के स्टाम्प पेपर की छपाई भी बंद की जा रही है।
डिजीटल स्टाम्प को पूरी तरह से चलन में लाने का निर्णय इसलिए लिया जा रहा है, क्योंकि पेपर की छपाई में अधिक खर्चा होता है और उसे वेंडर तक पहुंचाने में भी हर साल 30 से 35 करोड़ रुपए अलग से खर्च करना पड़ते हैं। स्टाम्प के दुरुपयोग और उसकी ट्रैकिंग भी अब आसानी से होगी।
मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक स्टाम्पिंग सिस्टम की शुरुआत भी जुलाई-2023 से शुरू की गई। अब 100 रुपए से कम मूल्य के ई-स्टाम्प ऑनलाइन खरीदे जा सकेंगे। अभी कई शपथ-पत्र सहित अन्य काम के लिए कम राशि के स्टाम्प पेपर इस्तेमाल किए जाते थे, जिसमें बिक्री विलेख के अलावा किराया समझौता, लेन-देन का हिसाब-किताब या अन्य श्रेणी के दस्तावेज इस्तेमाल होते हैं। अब स्टाम्प पेपर आने वाले समय में नजर नहीं आएंगे और पंजीयन एवं मूत्रांक विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव शासन को भेजा है, जिसकी मंजूरी मिलने पर इस पर अमल शुरू हो जाएगा। कुछ साल पहले देश में तेलगी स्टाम्प घोटाला सुर्खियों में रहा, जिसके चलते करोड़ों-अरबों रुपए के स्टाम्प पेपर फर्जी तरीके से छापकर खपाए गए, उसके बाद ही ई-स्टाम्प का चलन शुरू हुआ।
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