एंकोरेज। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बीती रात पूरी दुनिया के सामने अमेरिका का दोगलापन उजागर कर दिया। अलास्का (Alaska) में ऐतिहासिक बैठक के बाद पुतिन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है। पुतिन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने रूस के साथ तेल व्यापार को लेकर भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाया है। अब पुतिन ने आंकड़ा देते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से रूस और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 20% की वृद्धि हुई है।
पुतिन ने कहा, “जब से नया (ट्रंप) प्रशासन सत्ता में आया, तब से द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने लगा है। यह अभी भी बहुत प्रतीकात्मक है। फिर भी, हमारी वृद्धि दर 20 प्रतिशत है।” उन्होंने संकेत दिया कि रूस और अमेरिका अभी भी एक-दूसरे को व्यापार और कारोबार के अवसर प्रदान कर सकते हैं। पुतिन ने कहा, “हमारे पास एक साथ मिलकर काम करने के कई आयाम हैं। रूस और अमेरिका व्यापार, डिजिटल, उच्च तकनीक और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक-दूसरे को बहुत कुछ प्रदान कर सकते हैं।”
इस महीने की शुरुआत में, डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत अभी भी रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में आर्थिक मदद मिल रही है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने कुछ ही दिनों बाद भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। भारत पर लगा टैरिफ अब 50 प्रतिशत हो गया है और यह 27 अगस्त से लागू होगा। यही वजह है कि लोग ट्रंप के पाखंड पर सवाल उठा रहे हैं।
भारत ने ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ की कड़ी निंदा की है, इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनुचित” बताया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत की तेल आयात नीति राष्ट्रीय हितों और ऊर्जा सुरक्षा पर आधारित है। मंत्रालय ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। बयान में कहा गया, “भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं वैश्विक बाजार की स्थिति से प्रेरित हैं, और हम अपने उपभोक्ताओं के लिए किफायती और स्थिर ईंधन कीमतें सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा, “हमारे किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। भारत इनके हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस “भारी कीमत” का सामना करने के लिए तैयार है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ भारत के कुल निर्यात का केवल 4.8% प्रभावित करेगा, जो 2024-25 में $820 बिलियन से अधिक था।
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