
नई दिल्ली । एशिया कप 2025(asia cup 2025) का आगाज 9 सितंबर से होने जा रहा है। इस टूर्नामेंट(Tournament) में हर किसी की नजरें 14 तारीख को होने वाले इंडिया वर्सेस पाकिस्तान मैच(india vs pakistan match) पर है। एक तरफ फैंस और कई पूर्व क्रिकेटरों का कहना है कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच का बहिष्कार करना चाहिए। वहीं सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलेगा, लेकिन एशिया कप और अन्य बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लेगा। ऐसे में अब बोर्ड को तय करना है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलेगा या नहीं।
पाकिस्तान के मैच को बहिष्कार करने की बातें इसी साल अप्रैल में हुए पुलवामा अटैक को मद्देनजर हो रही है। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने धर्म के नाम पर 26 लोगों की जान ली। हालांकि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पड़ोसी देश को मुंहतोड़ जवाब दिया।
मनोज तिवारी ने अब पाकिस्तान के खिलाफ मैच को बहिष्कार करने की बात कही है। उनका कहना है कि जब जब हम जानते हैं कि ये आतंकवादी हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान से आ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने अपने देश में पनप रहे आतंकवादी संगठनों को खत्म करने के लिए कभी इतनी कोशिश नहीं की। जब हम यह देख सकते हैं, जब हम जानते हैं कि वे वहीं से आ रहे हैं, तो जाहिर है, पाकिस्तान के साथ खेलने का क्या मतलब है?
मनोज तिवारी ने सवाल उठाया कि टूर्नामेंट में पाकिस्तान का सामना करने से भारत को क्या लाभ होगा। तिवारी का मानना है कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करके और बाकी मैचों में अच्छा प्रदर्शन करके एक कड़ा संदेश देना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इससे क्या फायदा? आपको टीआरपी चाहिए; आपको रेवेन्यू चाहिए? अगर आईसीसी वाले उनसे छुटकारा नहीं पा सकते, तो आप उस मैच से छुटकारा पा लीजिए। बाकी मैचों में आप अच्छा प्रदर्शन करते हैं। देखिए क्या होता है। यह हमारे देश की तरफ से एक बयान होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “जब हम जानते हैं कि ये आतंकवादी हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान से आ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने अपने देश में पनप रहे आतंकवादी संगठनों को खत्म करने के लिए कभी इतनी कोशिश नहीं की। जब हम यह देख सकते हैं, जब हम जानते हैं कि वे वहीं से आ रहे हैं, तो जाहिर है, पाकिस्तान के साथ खेलने का क्या मतलब है? मेरे विचार से, हमें नहीं खेलना चाहिए। क्यों? क्योंकि कुछ महीने पहले ही पहलगाम हमला हुआ था।”
अंत में तिवारी बोले, “इससे पहले, पुलवामा हुआ था। तो समझिए, जिन परिवारों ने अपने सदस्यों को खोया है, वे किस मानसिकता में होंगे? वे किस भावनात्मक स्थिति में होंगे? जब एक सैनिक अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान करता है, तो वह ऐसा नहीं करता; हम खेल भावना के नाम पर उस देश के खिलाफ खेलते हैं जहाँ से आतंकवादी आते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।”
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