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रामभद्राचार्य ने जितेंद्र आव्हाड को दिया जवाब, सुंदरकांड के जरिए बताया भगवान राम के शाकाहारी होने का सच

January 04, 2024

नई दिल्ली। एनसीपी शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awad) ने भगवान श्रीराम को मांसाहारी कहकर विवाद छेड़ दिया। हालांकि इसके बाद उन्होंने माफी भी मांग ली, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। संत समाज उनके खिलाफ लगातार मुखर है। अयोध्या के संत परमहंस आचार्य के बाद श्रीतुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Sri Tulsi Peethadhishwar Jagadguru Ramabhadracharya) का बयान सामने आया है। धार्मिक गुरु रामभद्राचार्य (Religious teacher Ramabhadracharya) ने सुंदरकांड के जरिए भगवान राम के शाकाहारी होने का प्रमाण देने की कोशिश की।

उन्होंने कहा- जितेंद्र आव्हाड ने गलत बयान दिया है कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे। उसका ये बयान शरारतपूर्ण है। भगवान राम शाकाहारी ही थे। सुंदरकांड में इसका जिक्र है। सुंदरकांड के 36वें सर्ग के 41वें श्लोक में स्वयं हनुमान जी सीता जी से कहते हैं कि रघुकुल का कोई भी व्यक्ति मांस नहीं खाता।

इसके साथ ही रामभद्राचार्य ने वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उत्तरकांड तो प्रक्षिप्त है। वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड को प्रमाण नहीं माना जाता। रामभद्राचार्य ने कहा कि ये गलत बात है कि वनवास में शिकार करके खाना पड़ता था। वन में कंद, मूल और फल होते थे, भगवान राम इन्हें ही खाते थे।


रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि वाल्मिकी रामायण के अयोध्या कांड के 20वें सर्ग के 29वें श्लोक में भगवान राम प्रतिज्ञा करते हैं कि मैं 14 वर्ष तक कंद, मूल, फल से अपनी जीविका चलाता हुआ मुनियों की भांति वन में निवास करूंगा। मैं राजकीय भोजन को छोड़कर 14 साल के लिए वनवास करूंगा। रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि जब भगवान राम नमक से मिश्रित भोजन भी नहीं करते थे, तो मांसाहार क्यों करेंगे। आव्हाड का ये पूरा बयान शरारत पूर्ण है। श्री राम भगवान शुद्ध सात्विक और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। मांस, मदिरा या किसी भी तामसी वस्तु का वे सेवन नहीं करते।

दरअसल, महाराष्ट्र में भाजपा विधायक राम कदम ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को ध्यान में रखते हुए 22 जनवरी को शराब और मांसाहार पर बैन लगाने की अपील की थी। इसके बाद आव्हाड ने भगवान राम को मांसाहारी कहने वाला विवादित बयान दिया। इसके बाद से ही उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हालांकि अब आव्हाड ने माफी मांग ली है, लेकिन उन्होंने वाल्मिकी रामायण का हवाला देते हुए कहा है कि इसमें भगवान राम के मांसाहारी होने का जिक्र है। बाकी मैं विवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहता।

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