
वाराणसी (Varanasi)। काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में रंगभरी एकादशी (colorful ekadashi) उत्सव की शृंखला में पार्वती के गौना से जुड़ी रस्मों की मंगलवार से विधिवत शुरुआत हुई। माता गौरा को तेल मिश्रित हल्दी लगाई गई। विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर पूरे दिन सुहागिनों के मधुर स्वर में मंगलगीत गूंजते रहे। बाबा विश्वनाथ तीन मार्च, रंगभरी एकादशी को पार्वती को विदा कराने महंत आवास पहुंचेंगे।
गौरा का मायका बने महंत आवास पर भव्य शृंगार के बाद सायंकाल गौरा की रजत प्रतिमा को हल्दी लगाई गई। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच सुहागिनों (brides) ने मंगलगीत गीत गाते हुए हिमालय-पुत्री को हल्दी लगाई। शिव-पार्वती के मंगलमय दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला। ‘गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा…’, ‘सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढ़िहें…’, ‘गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइहैं ससुरारी…’ आदि गीतों में शुभकामना के साथ चुहुल भी झलका।
मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है। सखियां पार्वती का साज शृंगार करने के लिए कैसे-कैसे सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं। हल्दी रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाते हुए महिलाओं ने गौरा की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी सानिध्य में संजीवरत्न मिश्र ने माता गौरा का शृंगार किया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved