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स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार लोकतंत्र की पहचान है – पूर्व सीजेआई यूयू ललित

September 23, 2024


नई दिल्ली । पूर्व सीजेआई यूयू ललित (Former CJI UU Lalit) ने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार (Right to Free Expression) लोकतंत्र की पहचान है (Is the Hallmark of Democracy) ।

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की ओर से आयोजित सोली जे. सोराबजी मेमोरियल लेक्चर में कहा, “असहमति का अधिकार लोकतंत्र की पहचान है। स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार लोकतंत्र की पहचान है और जाने-माने न्यायविद (ज्यूरिस्ट) और भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली जे. सोराबजी इस अधिकार के पक्के समर्थक थे ।”

न्यायमूर्ति ललित ने सोराबजी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों, सार्वजनिक निर्णयों और लेखन के माध्यम से देश के संविधान और कानूनों की उनकी गहरी समझ के बारे में बात की । एक इंसान के तौर पर उन्हें म्यूजिक से लेकर कविता (पोएट्री), साहित्य (लिटरेचर) से लेकर भूगोल (ज्योग्राफी) तक में बहुत रुचि थी और वे एक उदार पाठक (इक्लेक्टिक रीडर) थे। लेकिन वे कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध थे। उनका सबसे महत्वपूर्ण काम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के क्षेत्र में रहा है। यह कहना जरूरी है कि उनके कुछ तर्क और मामले उस दौर के हैं जब आपातकाल लागू हो चुका था!

उन्होंने सोली जे. सोराबजी के लिए रिसर्च और तैयारी के महत्व को याद किया, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनकी टीम के सदस्य उचित प्रक्रिया का पालन करें और कानून के शासन में उनका विश्वास बनाए रखें। असहमति के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा पर उनका लेखन ग्रीस में लोकतंत्र की नींव पर ही आधारित था। ग्रीस में लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल यही था कि हर नागरिक को जीवन के हर क्षेत्र में भाग लेना चाहिए, अपनी चिंताओं को व्यक्त करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। प्रत्येक नागरिक से यह उम्मीद थी कि वह अपने विचार व्यक्त करें और समाज में उन्हें स्पष्ट करें। अगर समाज में एक भी असहमति की आवाज है, तो भले ही आप उससे सहमत न हों, लेकिन उस आवाज को सुने जाने का अधिकार है और यही स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार की नींव है।”

इस मौके पर 2024 सोली जे. सोराबजी एंडोमेंट अवॉर्ड और स्कॉलरशिप के प्राप्तकर्ता की घोषणा भी की गई। यह अवॉर्ड और स्कॉलरशिप मानवाधिकार कानून और सिद्धांत के क्षेत्र में एक योग्य छात्र को हर साल दी जाती है, जिसे जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में स्नातक कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में ऑफर किया जाता है। इस साल यह पुरस्कार जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की खुशी दोशी को दिया गया।

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