
कुछ और सबक़ हम को ज़माने ने सिखाए
कुछ और सबक़ हम ने किताबों में पढ़े थे।
ब्रजेश राजपूत उस नफीस और कमसुखन सहाफी (पत्रकार) का नाम है जो बेहद शाइस्तगी (सौम्यता) के साथ अपना काम कर जाता है। न कोई हंगामा न शोर…बड़ी से बड़ी खबर को अलग ही अंदाज़ में पेश करते है ब्रजेश। सहाफत में चौथाई सदी बिताने वाले इस बंदे की खबरों को पेश करने की अपनी अलहदा स्टाइल है। वे खबरों के कॉन्टेंट, फेक्ट वगैरह पे भोत मेहनत करते हैं। खुशी की बात ये हेगी के भाई मियां को मध्य प्रदेश संस्क्रति परिषद हिंदी साहित्य अकादमी के सूबाई मयार का राजेन्द्र अनुरागी अवार्ड मिल रहा है। एबीपी न्यूज़ के वरिष्ठ विशेष संवाददाता ब्रजेश राजपूत को ये अवार्ड इनकी किताब ‘ऑफ द स्क्रीनÓ के लिए दिया जाएगा। ब्रजेश अपने काम को दिलोजान से और अनूठे अंदाज़ में करने के लिए जाने जाते हैं। ऑफ़ द स्क्रीन इनके काम और खबरों के पीछे के स्ट्रगल की डायरी है। न्यूज़ चैनलों में बीस बरस गुजारने के पेले इंन्ने दिल्ली और भोपाल में कई अख़बारों में काम किया। सहाफत में इनकी सबसे बड़ी खूबी हिंदी या हिंदुस्तानी ज़बान पे ज़बरदस्त पकड़ है। ऑफ द स्क्रीन से पहले चुनाव राजनीति और रिपोर्टिंग, चुनाव है बदलाव का, वो सत्रह दिन और ऑफ द कैमरा उनवान से उनकी किताबें शाया हो चुकी हैं।
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