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सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण ही संघ का उद्देश्यः भागवत

October 04, 2021

जम्मू। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (Rashtriya Swayamsevak Sangh’s Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat) ने रविवार को जम्मू-कश्मीर प्रांत के स्वयंसेवकों को शाखा विस्तार और राष्ट्र एवं संगठन के समक्ष मौजूदा और आगामी चुनौतियों आदि बिंदुओं पर विस्तार से मार्गदर्शन किया। आभासी मंच पर आयोजित इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के दूरदराज के 989 स्थानों के स्वयंसेवक आभासी रूप से सम्मिलित हुए। डॉ. भागवत ने कहा कि हम संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन करने चले हैं, एक ऐसा समाज जो भारत को पुनः विश्वगुरु की प्रतिष्ठा दिला सके। उन्होंने कहा कि अभी काम शुरू हुआ है, इसलिए धैर्यपूर्वक और सावधानी से काम करने की आवश्यकता अधिक है।

डॉ. भागवत ने जम्मू के अंबफला स्थित केशव भवन संघ कार्यालय से स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि 2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होंगे। आज संघ 96 वर्ष का हो गया है। उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि जो कार्य संघ ने विगत नौ दशकों में किया है, उतना ही कार्य हमें आने वाले 30 वर्षों में करने का संकल्प लेना है। उन्होंने कहा कि संगठन कार्य करते हुए हमें सदैव सावधान रहना चाहिए, क्योंकि सावधानी हटने से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।


संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने संगठन शक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि शक्ति थोड़ी भी हो उसकी पहचान होती है। ऐसा अनुभव संघ के प्रारंभिक दौर में डॉ. हेडगेवार के समय में नागपुर में हुआ था। अच्छी शक्ति को लोग पहचानते हैं और इससे डरते भी हैं। प्रारंभ में संघ का काम बढ़ने से भी स्वार्थी लोगों को डर लगता था, उसके कारण विरोध भी होता रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कुछ अनुकूलता है, लेकिन इसके कारण हमें गफलत में नहीं पड़ना है। हमें सदैव सावधान रहकर कार्य करना है। यशस्वी होते-होते अगर सावधानी हट गई तो पूरा यश अपयश में बदल जाता है। पूर्ण यश मिलने तक सावधानी नहीं हटनी चाहिए और इसकी आवश्यकता लंबे समय तक है। ऐसी दृष्टि स्वयंसेवकों को ध्यान में रखनी है।

सरसंघचालक ने कहा कि इस बात को हमें सदैव ध्यान में रखना होगा कि हम संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन करने चले हैं, ऐसा समाज जो भारत को विश्व गुरु बना सके। भारत विश्व के हर क्षेत्र में सबसे आगे हो और हम संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाला जीवन जीने वालों में भी सबसे आगे रहें, ऐसा भारत हमें बनाना है। अभी काम शुरू हुआ है, इसलिए धैर्यपूर्वक सावधानी से काम करने की आवश्यकता अधिक है। उन्होंने स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि जो कार्य संघ ने विगत नौ दशकों में किया है, उतना ही कार्य हमें आने वाले 30 वर्षों में करने का संकल्प लेना है।

डॉ. भागवत ने कहा कि हमें शाखा में नियमित जाकर वहां के संस्कारों को सीखते रहना चाहिए। स्वयंसेवक शाखा में समर्थ होने के लिए आते हैं। सामर्थ्य का उपयोग अच्छे लोग दुर्बलों की रक्षा करने के लिए करते हैं। अगर हिंदू समाज में दुर्बलता है तो उसकी रक्षा का कर्तव्य हमारा है। अच्छे सामर्थ्यवान लोग बल का प्रयोग दूसरे को समर्थ करने के लिए करते हैं, जबकि बुरे लोग दूसरों को परेशान करने के लिए करते हैं। इसके लिए स्वयंसेवकों को तैयार होना है और यह संघ की शाखा के माध्यम से ही होता है।

इस अवसर पर डॉ. भागवत के साथ उत्तर क्षेत्र के संघचालक प्रो. सीताराम व्यास और जम्मू-कश्मीर प्रांत के सह संघचालक डॉ. गौतम मैंगी भी उपस्थित थे। (एजेंसी, हि.स.)

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