
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने पूर्व स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख (Ketan Parekh) की चार महीने तक कई देशों की यात्रा करने की अर्जी का विरोध किया है। SEBI ने स्पेशल कोर्ट से कहा है कि पारेख का इरादा गलत है और वह विदेश जाकर बसना चाहते हैं, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेशकों को नुकसान पहुंचाने की अपनी योजनाओं को अंजाम दे सकें। पारेख पर 2000-2001 के स्टॉक मार्केट घोटाले में 14 साल तक शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है और वह अभी भी मुंबई की एक विशेष SEBI अदालत में चल रहे मुकदमों का सामना कर रहे हैं।
पारेख ने यात्रा के ये कारण बताए
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक केतन पारेख ने अदालत से यूनाइटेड किंगडम (UK), यूएई, सिंगापुर, थाईलैंड, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, यूरोपीय संघ और जॉर्जिया जैसे 8 देशों की यात्रा की इजाजत मांगी थी। उन्होंने इसके लिए पारिवारिक छुट्टी और दो शादियों में शामिल होने का हवाला दिया था। साथ ही, उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की सेहत का जिक्र करते हुए कहा था कि उनकी दोनों बेटियां यूके में रहती हैं और वह उनके साथ समय बिताना चाहते हैं।
SEBI ने विरोध करने के ये कारण दिए
SEBI ने अपने जवाब में कहा कि पारेख का “विदेश यात्रा की अनुमति का दुरुपयोग करने का इतिहास” रहा है। पहले भी जब उन्हें मानवीय आधार पर यात्रा की इजाजत मिली थी, तब भी वह WhatsApp ग्रुप्स (जैसे ‘Jack-ST’ और ‘Jack-Saro’) के जरिए धोखाधड़ी वाले ट्रेंडिंग को अंजाम देने में सक्रिय रहे। SEBI का कहना है कि यात्रा की अर्जी अवैध गतिविधियों को छुपाने के लिए एक “ढाल” का काम करती है।
SEBI ने इस साल जनवरी में एक अंतरिम आदेश का हवाला दिया, जिसमें पारेख और दूसरों पर सिंगापुर स्थित रोहित सालगावकर से मिली गुप्त जानकारी का इस्तेमाल कर ‘फ्रंट-रनिंग’ (अंदरूनी जानकारी का फायदा उठाकर पहले सौदे करना) करने का आरोप लगाया गया था। इससे उन्होंने करोड़ों रुपये का अवैध लाभ कमाया।
SEBI ने चिंता जताई कि अगर पारेख को विदेश जाने दिया गया, तो वह निगरानी और अदालती कार्यवाही से दूर रहकर अपनी योजनाएं चलाएंगे। उन्होंने कहा कि पारेख ने अपनी पहचान छुपाने के लिए दूसरों के नाम से कई SIM कार्ड इस्तेमाल किए और सहयोगियों के फोन में उनका नंबर ‘Jack’, ‘Boss’, ‘Bhai’ और ‘Wellwisher’ जैसे नामों से सेव था। सेबी ने यह भी कहा कि पारेख जिन कुछ देशों की यात्रा करना चाहते हैं, भारत का उनके साथ प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) नहीं है। ऐसे में अगर वह वापस नहीं आए, तो उन्हें भारत लाने में कानूनी मुश्किलें आ सकती हैं।
आगे की कार्यवाही
विशेष न्यायाधीश आर.एम. जाधव के सामने यह मामला है और मंगलवार को इस पर फैसला सुनाया जा सकता है। पारेख के वकीलों ने कहा कि उन्हें पहले भी विभिन्न अदालतों से विदेश यात्रा की इजाजत मिल चुकी है, जैसे सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में उनकी बेटी के इलाज के लिए यूके जाने की अनुमति दी थी। कुल मिलाकर, SEBI का मानना है कि केतन पारेख का विदेश यात्रा का अनुरोध वैध नहीं बल्कि भारत की कानून प्रक्रिया और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है।
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