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नेटफ्लिक्स-वॉर्नर डील पर शेखर कपूर ने उठाए सवाल, फिल्ममेकर बोले- एआई ने बदला खेल

December 08, 2025

डेस्क। हॉलीवुड की दिग्गज कंपनी वॉर्नर ब्रदर्स को नेटफ्लिक्स द्वारा खरीदने की खबर ने इंटरनेशनल लेवल पर एंटरटेनमेंट जगत में हलचल पैदा कर दी है। भारत में भी इस सौदे को लेकर चर्चाएं तेज हैं। मल्टीप्लेक्स मालिक चिंतित हैं कि कहीं इसका असर थिएटरों पर न पड़े, वहीं मशहूर फिल्ममेकर शेखर कपूर इसे एक गहरी, तकनीकी और सांस्कृतिक बदलती दुनिया का संकेत मान रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए ये बताने की कोशिश की है कि इस बदलाव के असली मायने कॉरपोरेट नहीं, बल्कि आम दर्शक और एआई तय करेंगे।

शेखर के पोस्ट के मुताबिक, ‘लोग मान रहे हैं कि बड़ी कंपनियां जैसे नेटफ्लिक्स और वॉर्नर ब्रदर्स जब मिल जाती हैं, तो वो ग्राहकों को अपनी पसंद का कंटेंट देखने पर मजबूर कर सकती हैं। लेकिन यह सोच गलत है, क्योंकि हर इंसान की पसंद अलग होती है। किसी कंपनी के लिए यह बताना आसान नहीं कि लोग क्या देखना चाहेंगे। एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से यह और भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि एआई के आ जाने से अब हर किसी की पसंद उसके हिसाब से अलग-अलग हो चुकी है। अब अकेला इंसान भी एआई की मदद से बहुत अच्छा कंटेंट बना सकता है- कम पैसे में। इसका मतलब है कि बड़ी–बड़ी कंपनियां अब दर्शकों को अपनी पसंद की चीजें दिखाने पर मजबूर नहीं कर पाएंगी। दुनिया की 80% आबादी बड़े स्टूडियो और अच्छे-खासे पैसे से फिलहाल दूर है और असली ताकत आगे चलकर वहीं से आएगी। यानी भविष्य कॉरपोरेट्स का नहीं, बल्कि आम लोगों का और उनके बनाए कंटेंट का है।’


यानी सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो उनके मुताबिक अब कंपनियां नहीं बल्कि लोग खुद फैसला लेते हैं कि उन्हें किस तरह का कंटेंट देखना है और वो चाहें तो खुद भी वैसा कंटेंट एआई की मदद से बना सकते हैं इसलिए इस डील का आम लोगों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

शेखर कपूर का कहना है कि बड़ी कंपनियां जब करोड़ों-अरबों का निवेश करती हैं, तो वो दर्शकों की पसंद को एक ही तरह से आंकने की कोशिश करती हैं। उनका मानना है कि बड़ा-बड़ा डेटा, पुराना कंटेंट लाइब्रेरी और तेज टेक्नोलॉजी ही भविष्य की चाबी हैं। लेकिन शेखर कपूर के अनुसार यह सोच पुराने समय की है। उनकी दलील है कि दर्शक एक भीड़ नहीं, बल्कि अलग-अलग सोच रखने वाले करोड़ों इंसान हैं और किसी भी कंपनी के लिए हर व्यक्ति की चाहत समझ पाना लगभग असंभव है।

शेखर कपूर ने सबसे अहम बात यह कही कि एआई के आने के बाद खेल का मैदान पूरी तरह से बदल गया है। एआई उन लोगों को भी ताकत दे रहा है जिनके पास बड़े स्टूडियो, करोड़ों का बजट और विशाल मार्केटिंग मशीन नहीं थी। यानी अब एक व्यक्ति भी शानदार स्क्रिप्ट, बेहतरीन विजुअल, प्रोफेशनल एडिटिंग, दमदार कैरेक्टर- सब कुछ एआई की मदद से बहुत कम खर्च में बना सकता है। यही वजह है कि शेखर के मुताबिक एआई बड़ी कंपनियों की ताकत को छोटा और व्यक्तियों की ताकत को बड़ा कर देगा।

अपने इस पोस्ट से शेखर कपूर का इशारा हॉलीवुड, ओटीटी और बड़े स्टूडियो की तरफ है, जिन्हें अब तक ‘गेटकीपर’ माना जाता रहा है- यानी वही तय करते थे कि कौन–सा कंटेंट दर्शकों तक आएगा और कौन-सा नहीं। लेकिन टिकटॉक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स ने दिखा दिया है कि दुनिया पर्सनल क्रिएटर की ओर बढ़ चुकी है। छोटे-छोटे ड्रामा और रील्स आज पूरी दुनिया में छा चुके हैं और एआई के आने से यह और आसान हो जाएगा।

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