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जापान पर बाहरी आबादी का ‘मूक हमला’ खत्म करने का नारा

July 22, 2025

नई दिल्‍ली। जापान (Japan) में हाल ही में हुए अपर हाउस चुनाव (upper house elections) में कट्टरपंथी राष्ट्रवादी दल Sanseito (Senseit) ने चौंकाने वाली सफलता हासिल की है। “जापानी फर्स्ट” जैसे राष्ट्रवादी नारों और “प्रवासी आक्रमण” जैसी चेतावनियों के जरिए पार्टी को बड़ी संख्या में मतदाताओं का समर्थन मिला। दल ने चौदह सीटें जीतीं, जबकि तीन साल पहले पार्टी के पास केवल एक सीट थी।

कोविड महामारी के दौरान संसेइतो की शुरुआत यूट्यूब पर हुई थी, जहां इसने टीकाकरण और वैश्विक साज़िश जैसी थ्योरीज़ फैला कर लोकप्रियता बटोरी। बाद में इसी प्रचार के बल पर पार्टी ने मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया।


ट्रंप को अपना आइडल मानते हैं पार्टी के नेता
दल के 47 वर्षीय नेता सोहेई कामिया का कहना है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बोल्ड इमेज से काफी प्रभावित हैं। कामिया पहले सुपरमार्केट प्रबंधक और अंग्रेज़ी शिक्षक रह चुके हैं। उनका कहना है , “हम यह नहीं कह रहे कि सभी विदेशियों को जापान छोड़ देना चाहिए, लेकिन हमें वैश्वीकरण से जापानी लोगों की आजीविका की रक्षा करनी होगी।”

विवादित बयानों के बाद छवि सुधार की कोशिश

कामिया अतीत में जापानी सम्राट को सरकार में साथ रखने की वकालत कर चुके हैं। इसके चलते उनकी पार्टी को आलोचना का सामना करना पड़ा था। चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता नीतियां एक ग़लती हैं, क्योंकि इससे महिलाएं घर बसाने की बजाय नौकरी में उलझ जाती हैं। हालांकि, अपनी उग्र छवि को सुधारने के लिए इस बार उन्होंने कई महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जिनमें से गायिका साया टोक्यो से विजयी भी हुईं।

जनता में गहरा असर, आर्थिक मुद्दों से नाराज़गी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसेइतो को समर्थन उन मतदाताओं से मिला जो कमज़ोर अर्थव्यवस्था, गिरती मुद्रा और बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। जापान में विदेशी मूल के नागरिकों की संख्या लगभग 38 लाख (कुल आबादी का मात्र 3 प्रतिशत) है, फिर भी दल ने इस मुद्दे को भुना लिया।

सत्ता पक्ष की हार, विपक्ष को मिला बल

प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और सहयोगी दल को ऊपरी सदन में बहुमत गंवाना पड़ा। इससे पहले वे निचले सदन के चुनाव में भी हार चुके हैं। संसेइतो के उभार के बाद सरकार ने “अवैध विदेशियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस” जैसी सख्त नीतियां घोषित की हैं।

कामिया ने चुनाव के बाद कहा, “यह तो बस शुरुआत है। अगर हम 50 से 60 सीटें जीतते हैं, तो हमारी नीतियां ज़मीन पर उतरेंगी।”

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