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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सोशल मीडिया का मामला, CJI गवई ने दिलाई Gen-Z प्रदर्शन की याद

November 03, 2025

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 14 से 18 वर्ष के बच्चों (Children) के सोशल मीडिया (Social Media) उपयोग पर प्रतिबंध (Ban) लगाने की मांग वाली जनहित याचिका (Public Interest Litigation) को खारिज कर दिया. अदालत ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि इस तरह के फैसले नीतिगत मसले हैं, जिन पर निर्णय लेना सरकार का अधिकार क्षेत्र है, न्यायपालिका का नहीं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई (BR Gawai) ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा, ‘आप जानते हैं, नेपाल में जब इस तरह का प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई थी, तब क्या हुआ था?’ इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, ‘धन्यवाद, हम इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं.’


याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कोविड-19 महामारी के बाद बच्चे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के आदी हो गए हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अरब देशों में नाबालिगों के सोशल मीडिया उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध है, लेकिन भारत में ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है.

याचिका में यह भी कहा गया था कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म बच्चों की एकाग्रता, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं, और माता-पिता के कंट्रोल से भी बच्चे पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं.

हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर नाबालिगों के उपयोग पर रोक लगाना एक नीतिगत निर्णय है, जो केंद्र सरकार और संबंधित संस्थाओं को लेना चाहिए, न कि अदालत को. सीजेआई गवई की ‘नेपाल’ वाली टिप्पणी ने यह संकेत दिया कि इस तरह के प्रतिबंधों के व्यवहारिक और सामाजिक परिणामों पर विचार जरूरी है.

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