
वाशिंगटन। स्टारबक्स (Starbucks) के कर्मचारियों ने कंपनी के नए ड्रेस कोड (Company New Dress code) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। उनका कहना है कि कंपनी ने ड्रेस कोड बदल दिया, लेकिन कर्मचारियों को नए कपड़े खरीदने के पैसे वापस नहीं दिए। यह मामला तीन अमेरिकी राज्यों (American states) इलिनॉय, कोलोराडो और कैलिफोर्निया में दायर किया गया है।
नए ड्रेस कोड में क्या बदलाव हुए?
स्टारबक्स का नया ड्रेस कोड 12 मई 2025 से लागू हुआ। इसमें कर्मचारियों को हरे एप्रन के नीचे काले रंग की शर्ट पहननी होगी। नीचे खाकी, काले या नीले डेनिम के पैंट या स्कर्ट पहनने की अनुमति है। जूते वाटरप्रूफ और सादे रंग के होने चाहिए। इसके अलावा, चेहरे पर टैटू या एक से ज्यादा पियर्सिंग की मनाही है।
कर्मचारियों पर क्या असर पड़ा?
कर्मचारियों को नए ड्रेस कोड के अनुसार कपड़े खरीदने पड़े, जिसमें उनका पैसा खर्च हुआ। ब्रोक एलन नाम की एक कर्मचारी ने बताया कि उन्हें नए जूते और कपड़े खरीदने के लिए $60 से ज्यादा खर्च करने पड़े। कई कर्मचारी पहले से ही छोटी आमदनी पर गुजारा कर रहे हैं, ऐसे में उनके लिए यह खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है।
कानूनी कार्रवाई क्यों?
कर्मचारियों का कहना है कि स्टारबक्स ने राज्य कानूनों का उल्लंघन किया है, जो कंपनियों को कर्मचारियों के खर्च की भरपाई करने के लिए बाध्य करता है। कोलोराडो कानून के अनुसार, बिना लिखित सहमति के कर्मचारियों पर खर्च नहीं थोपा जा सकता। कंपनी ने कर्मचारियों के रिइंबर्समेंट के अनुरोधों को ठुकरा दिया है।
कर्मचारियों की भावनाएं
ब्रोक एलन जैसे कर्मचारियों का कहना है कि पहले का ड्रेस कोड उन्हें अपनी पहचान दिखाने का मौका देता था, जैसे रंगीन शर्ट और पियर्सिंग। अब सबकुछ एक जैसा काले रंग में होने से वातावरण उदास लगता है।
यूनियन की भूमिका
स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड नामक यूनियन इस मामले में कर्मचारियों का समर्थन कर रही है। यह यूनियन पहले से ही कंपनी के खिलाफ अन्य श्रम मुद्दों पर संघर्ष कर रही है। हालांकि, यह मौजूदा ड्रेस कोड मामले में सीधे शामिल नहीं है।
स्टारबक्स का जवाब
स्टारबक्स ने कहा है कि नए ड्रेस कोड का मकसद ग्राहकों को एक समान अनुभव देना और कर्मचारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करना है। कंपनी ने दावा किया कि उसने सभी कर्मचारियों को दो शर्ट मुफ्त दी हैं, लेकिन कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं हैं।
आगे की राह
अगर कैलिफोर्निया की एजेंसी इस मामले में कार्रवाई नहीं करती है, तो कर्मचारी वहां भी कोर्ट जाएंगे। इस मामले ने स्टारबक्स की श्रम नीतियों पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
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