
1 नंबर विधानसभा में दोनों में हुआ था कड़ा मुकाबला, 8 हजार 163 से हारे थे सुदर्शन
इंदौर। विधायक संजय शुक्ला (Sanjay Shukla) का कांग्रेस (Congress) से महापौर (Mayor)का टिकट पक्का होते ही अब भाजपा के पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता (Sudarshan Gupta) की दावेदारी कमजोर पड़ गई है। दो साल पहले ही गुप्ता को शुक्ला ने करीब 8 हजार वोटों से हराया था।
भाजपा ने भले ही अपना महापौर (Mayor) प्रत्याशी घोषित नहीं किया हो, लेकिन संगठन में भी अब प्रत्याशी चयन को लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है। जाहिर तौर पर भाजपा में सामान्य क्रियाकलाप चल रहे हैं, लेकिन उज्जैन में हुई भाजपा विधायकों की कार्यशाला में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा हुई और बताया जा रहा है कि जहां-जहां भाजपा की परफॉर्मेंस कमजोर रहेगी, वहां की जवाबदारी मंत्रियों और विधायकों को दी जाएगी। दूसरी ओर भाजपा में महापौर प्रत्याशी के दावेदारों की कमी नहीं है। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की नजदीकी का फायदा सुदर्शन गुप्ता को मिलना है। वहीं वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिए जाने के निर्णय से रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ पहले ही बाहर हो गए हैं। इसका फायदा गुप्ता को मिल सकता है, लेकिन वे अपनी एक गलती से अच्छी भली विधानसभा हार गए। उनकी इसी गलती को कांग्रेस फिर महापौर चुनाव में भुना सकती है। गुप्ता को शुक्ला ने 8 हजार 163 वोटों से हराया था और ब्राह्मण वोट भी एकतरफा शुक्ला के पक्ष में गिरे थे। पूरे शहर में ब्राह्मण समाज के करीब 4 लाख वोट हैं और वो एकतरफा निर्णय कर सकते हैं। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि गुप्ता की दावेदारी कमजोर पड़ रही है। वहीं गुप्ता विरोधी दूसरे गुटों ने भी इस बात को हवा देना शुरू कर दिया है। गुप्ता के अलावा गोपी नेमा, गोलू शुक्ला, जीतू जिराती, मधु वर्मा भी दौड़ में हंै। हालांकि संगठन से जो खबरें निकलकर आ रही हैं, उसमें युवा चेहरे को तवज्जो देने का मन भाजपा ने बनाया है और उसी के आधार पर संजय शुक्ला को हराने की रणनीति तय की जाएगी।
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