
नई दिल्ली । सीजेआई बीआर गवई (CJI BR Gavai) ने कहा कि प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर (On Presidential Reference) भारतीय न्याय परंपरा को (To Indian Judicial Tradition) सुप्रीम कोर्ट ने तरजीह दी (Supreme Court Preferred) ।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टिप्पणी की कि अब फैसलों में ‘भारतीयता की नई हवा’ चलने लगी है। इस पर मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा: कल के फैसले में हमने एक भी विदेशी उदाहरण का उपयोग नहीं किया, बल्कि पूरी तरह स्वदेशी व्याख्या पर भरोसा किया । एसजी मेहता ने कहा कि 5-जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने अमेरिकी और ब्रिटिश सिस्टम को भारत के संवैधानिक ढांचे से बहुत ध्यान से अलग किया है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आपने कहा कि हमारा अपना ज्यूरिस्प्रूडेंस है और जजमेंट ने सिर्फ 110 पेज में सब कुछ जवाब दे दिया। यह एक नई बात है। जजमेंट एक जजमेंट होना चाहिए, न कि लॉ रिव्यू के लिए कोई आर्टिकल ।
यह बातचीत सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम नंबर 1 में सेरेमोनियल बेंच प्रोसिडिंग्स के दौरान हुई, जो सीजेआई गवई के रिटायरमेंट से पहले का आखिरी कार्यदिवस था। जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को भारत के 53वें चीफ जस्टिस के तौर पर चार्ज लेंगे। उन्होंने जस्टिस गवई की ‘एक हाई स्टैंडर्ड’ सेट करने के लिए तारीफ की और ‘कानून के राज के प्रति उनकी अटूट लगन’ की तारीफ की।
जस्टिस गवई ने पहले सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को भारत का चीफ जस्टिस (सीजेआई) अपॉइंट करने के पुराने रिवाज के मुताबिक, जस्टिस कांत को अपना सक्सेसर रिकमेंड किया था। कोर्ट में हल्के-फुल्के माहौल था यह खचाखच भरा हुआ था। ऐसे जब एक वकील ने सीजेआई गवई के सम्मान में उन पर फूल बरसाने की कोशिश की, तो कोर्टरूम में हंसी की लहर दौड़ गई। जैसे ही उन्होंने एक पैकेट खोला और पंखुड़ियां बिखेरने की तैयारी की, सीजेआई ने तुरंत दखल दिया, ‘नहीं, नहीं, मत फेंको… इसे किसी को दे दो।’
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