
नई दिल्ली । सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि की याचिका पर (Petition filed by Sonam Wangchuk’s wife Geetanjali) सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर को सुनवाई होगी (Supreme Court will hear on October 29) ।
न्यायमूर्ति कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने गीतांजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा स्थगन की मांग के बाद सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी थी। वहीं, फिर से सोनम वांगचुक की पत्नी की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने याचिका में संशोधन करने की इजाजत मांगी है। अब 29 अक्टूबर को मामले की सुनवाई होगी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ को करनी है।
इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर केंद्र सरकार और अन्य प्राधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा था। सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में, लेह प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत वांगचुक की हिरासत का बचाव करते हुए कहा कि सभी प्रासंगिक तथ्यों पर विचार करने के बाद यह कार्रवाई ‘कानूनी रूप से’ की गई थी।
लेह के जिलाधिकारी रोमिल सिंह डोंक ने कहा कि 26 सितंबर को हिरासत आदेश पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बात से “संतुष्ट थे और अभी भी संतुष्ट हैं” कि व्यक्ति को हिरासत में रखा जाए। यह आदेश राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और समुदाय के लिए आवश्यक सेवाओं के लिए हानिकारक गतिविधियों पर आधारित था।
शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा गया है, “कानून के अनुसार, मेरे समक्ष प्रस्तुत सामग्री पर विधिवत विचार करने और स्थानीय अधिकार क्षेत्र की उन परिस्थितियों पर व्यक्तिपरक संतुष्टि प्राप्त करने के बाद, जहां सोनम वांगचुक राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था बनाए रखने और समुदाय के लिए आवश्यक सेवाओं के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त रहे थे, जैसा कि हिरासत के आधारों में उल्लेख किया गया है, मैंने हिरासत का आदेश पारित किया है।”
वांगचुक को अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने और हिरासत के दौरान उनके साथ अनुचित व्यवहार किए जाने के आरोपों का खंडन करते हुए, लेह प्रशासन ने याचिकाकर्ता के दावों को ‘निराधार’ करार दिया और कहा कि हिरासत ‘संविधान के अनुच्छेद 22 और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 के तहत प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन करते हुए’ की गई थी।
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