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वेस्टर्न बायपास का अलाइनमेंट बदला, इंदौर-भोपाल यात्रा होगी आसान

December 01, 2025

21 किलोमीटर दूरी घटेगी, समय भी बचेगा… शहर से नहीं गुजरना पड़ेगा, 4 हजार करोड़ का है यह प्रोजेक्ट

इंदौर। फोरलेन (four lane) का जो वेस्टर्न भोपाल बायपास (Western Bhopal Bypass) कुछ समय पूर्व मंजूर किया गया था, उसका अलाइनमेंट अब बदला गया है, ताकि पेड़ों की कटाई कम करना पड़े। 41 किलोमीटर लम्बे इस बायपास से इंदौर-भोपाल की दूरी भी लगभग 21 किलोमीटर कम होगी और 25 से 30 मिनट का समय भी बचेगा, लेकिन इस बायपास प्रोजेक्ट के चलते 6 हजार हरे-भरे पेड़ों की बलि भी चढ़ेगी। 4 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस फोरलेन का निर्माण हाईब्रीड एनयूटी मॉडल के तहत कराया जा रहा है। इससे बीच शहर से गुजरने से भी बचा जा सकेगा और अभी अलाइनमेंट बदलने से एक पुराने मंदिर के साथ टाइगर रिजर्व के बफर झोन को भी बचाया गया है।



पर्यावरणविदों ने इस प्रोजेक्ट को चुनौती भी दी, क्योंकि एक हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण तो किया ही जाएगा, जिसमें सवा सौ एकड़ वन भूमिपूजन भी शामिल है और रातापानी टाइगर रिजर्व के बफर झोन के साथ पुराने मंदिर को भी शिफ्ट करना पड़ता, जिसके चलते अब अलाइनमेंट में बदलाव कर दिया है। हालांकि यह प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादित रहा और पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने भी आसपास की जमीनें अधिकारियों और रसूखदारों द्वारा खरीद लिए जाने की शिकायत पीएमओ तक की थी और उसकी जांच भी हुई। यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी पेड़ों की कटाई को लेकर पिछले दिनों कड़ी टिप्पणी की थी, जिसके चलते अब अलाइनमेंट में कुछ संशोधन किया गय ा है। हालांकि बावजूद इसके 5 से 6 हजार पेड़ों की कटाई होगी, जिनकी शिफ्टिंग करने के दावे भी किए गए हैं। कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट के लिए 2900 करोड़ रुपए से अधिक की प्रशासकीय मंजूरी भी दे दी है। हालांकि यह पूरा प्रोजेक्ट लगभग 4 हजार करोड़ का बताया जा रहा है, जिसमें फोरलेन का निर्माण होगा और 4 ग्रेड सेपरेटर, तीन फ्$लायओवरों के साथ एक रेलवे ओवरब्रिज भी बनाया जा रहा है। वहीं आधा दर्जन अंडरपास भी प्रस्तावित हैं। हाईब्रीड एनयूटी मॉडल पर इसका निर्माण किया जा रहा है, जिसके चलते इस प्रोजेक्ट में खर्च होने वाली राशि का 60 फीसदी हिस्सा निर्माण कम्पनी पीएनपी इन्फ्राटेक वहन करेगी, तो 40 फीसदी राशि राज्य सरकार को दो वर्षों में किश्तों के रूप में देना पड़ेगी और फिर अगले 15 सालों तक शासन ही कम्पनी को उसकी लागत किश्तों में चुकाएगी और टोल टैक्स से होने वाली आमदनी भी एमपीआरडीसी के खाते में जाएगी। इस बायपास से इंदौर को भी फायदा होगा और आने-जाने वाले वाहनों का समय तो बचेगा, वहीं 20-21 किलोमीटर की दूरी भी घटेगी और बीच शहर से नहीं गुजरना पड़ेगा। अब जल्द ही भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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