
भोपाल। देशभर में ऑक्सीजन (Oxygen) हाहाकार की ही खबरें चल रही हैं। इसकी तुलना में भोपाल (Bhopal) में ऑक्सीजन (Oxygen) का संकट तो है, मगर इस तरह का हाहाकार अभी तक नजर नहीं आया, जिसका कारण यह है कि बीते 20-22 दिनों से पूरी प्रशासनिक मशीनरी ऑक्सीजन मैनेजमेंट (Oxygen Management) में रात-दिन भिड़ी है। वहीं आधा दर्जन प्रशासनिक अफसर (Officer) तो ऐसे हैं जो पिछले कई दिनों से सोए नहीं है।
देशभर में कई मरीजों की मौत ऑक्सीजन (Oxygen) ना मिलने के कारण हो रही है और सारे न्यूज चैनलों पर इसी के समाचार (News) चल रहे हैं। भोपाल में भी ऑक्सीजन (Oxygen) का टोटा तो है, मगर फिर भी उसकी आपूर्ति लगातार बहाल रखी गई। कलेक्टर अविनाश लवानिया (Avnish Lawaniya) ने शुरुआत में ही ऑक्सीजन (Oxygen) के लिए मैनेजमेंट (Managment) शुरू कर दिया। प्रशासनिक अफसर रात-दिन ऑक्सीजन मैनेजमेंट (Oxygen Managment) में ही जुटे हैं और अभी तो 10 दिनों से इनमें से किसी भी अफसर ने पूरी नींद नहीं ली है। बमुश्किल दो से चार घंटे जैसे-तेसे सो पाते हैं। रात को 3 से 4 बजे तक जागकर सारे अस्पतालों के ऑक्सीजन मैनेजमेंट (Oxygen Managment) को देखने के बाद फिर सुबह 6 बजे से इसी में जुट जाते हैं। यही कारण है कि देश में कई शहरों में जहां बड़ी संख्या में मौतें हुई, लेकिन भोपाल में ऑक्सीजन (Oxygen) को लेकर ऐसी अफरा-तफरी और हाहाकार अभी तक नजर नहीं आया और नेक-टू-नेक ऑक्सीजन (Oxygen) की सप्लाय लगातार जारी रखी और अस्पतालों के बीच भी सामंजस्य स्थापित कराया।
ऑक्सीजन वाहनों की आवाजाही पर कोई रोक-टोक नहीं
प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन के मचे हाहाकार के बाद बैठक बुलाई थी, जिसमें कलेक्टर-एसपी को निर्देश दिए कि कहीं पर भी ऑक्सीजन टैंकरों के आवागमन में बाधा उत्पन्न ना हो और इसकी जिम्मेदारी उन्हीं की रहेगी। कहीं पर भी ऑक्सीजन से संबंधित टैंकरों-वाहनों को रोका नहीं जाए और शहरों के अंदर भी इन वाहनों के आने-जाने पर समय की पाबंदी लागू नहीं होगी और किसी भी जिले में वाहनों को रोककर वहां आपूर्ति के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने औद्योगिक ऑक्सीजन की आपूर्ति भी रोक दी है।
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