
नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर (On India-US Bilateral Trade Agreement) पहले चरण की चर्चा सफल रही (The first phase of Discussions was Successful) । केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को पूरा करने के लिए अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ उनकी बातचीत सफल रही।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ बातचीत अच्छी रही।” इससे पहले, केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ बहुत अच्छी बातचीत चल रही है। विकास और जनसांख्यिकी के आउटलुक को देखते हुए भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के सामने आकर्षक अवसर पेश करता है।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने संवाददाताओं से कहा, “भारत की विकास दर को देखते हुए, अगले 25-30 वर्षों में एक बड़ी, महत्वाकांक्षी, युवा आबादी वस्तुओं और सेवाओं की मांग में इजाफा करेगी। हमारा मानना है कि अमेरिका के साथ एक अच्छा समझौता करने के लिए भारत एक आकर्षक अवसर पेश करता है।” अगर दोनों देश टैरिफ कम करने पर एक समझौता करते हैं तो इससे अमेरिका और भारत के बीच व्यापार में वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री की हाल ही में वाशिंगटन, डीसी की यात्रा के दौरान एक संयुक्त बयान में 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। ट्रंप ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि स्पष्ट सफलता के बावजूद वे व्यापार सौदे को अंतिम रूप देने को लेकर जल्दी में नहीं हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पिछले सप्ताह कहा था कि चल रही व्यापार वार्ता ‘जटिल’ है। विदेश मंत्री जयशंकर ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता कुछ नहीं कहा जा सकता। कोई भी व्यापार समझौता परस्पर लाभकारी होना चाहिए; यह दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। व्यापार समझौते से हमारी यही अपेक्षा है। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी होगी।”
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