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इंदौर वनमंडल का मास्टरप्लान तैयार,18 दिसम्बर से शुरू होगी बाघ गणना

December 08, 2025

इंदौर। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के निर्देश पर बाघ गणना (Tiger census) के लिए इंदौर वनमंडल (Indore Forest Division) का मास्टरप्लान (master plan) बन चुका है। इसी माह 18 दिसम्बर से बाघ गणना के दौरान जंगल के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के वन्यजीवों की गिनती की जाएगी। यह बाघ गणना एक सप्ताह तक मतलब 24 दिसम्बर तक चलेगी। इसके लिए पहली बार इंदौर वनमण्डल में 2 दिन तक मॉक ड्रिल मतलब गणना सम्बन्धित अभ्यास किया जाएगा।

यह आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन मतलब अखिल भारतीय बाघ गणना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के दिशा निर्देश पर वन्यजीव संस्थान और सभी राज्य के वनमंडलों द्वारा हर चार साल में आयोजित की जाती है। यह बाघ गणना अभियान भारत सहित सभी राज्यों की वन सरंक्षण नीतियों में अहम भूमिका निभाता है।


200 वर्ग किलोमीटर वन्य इलाकों में 100 कैमरे लगाए जाएंगे
इंदौर वनमण्डल का इलाका 700 वर्ग किलोमीटर का है। इसके 200 वर्ग किलोमीटर में कैमरा ट्रैपिंग की जाएगी, मतलब वन्यजीवों की गणना के लिए कैमरे लगाए जाएंगे। चयनित क्षेत्र को 2 वर्ग किलोमीटर की ग्रिडस में अलग-अलग विभाजित किया गया है। हर ग्रिड में कैमरे लगाकर वन्यजीवों पर नजर रखी जाएगी। इसके लिए वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट का सहयोग लिया जा रहा है। कैमरा ट्रैपिंग को-ऑर्डिनेशन मतलब समन्वय की जिम्मेदारी वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट के बायोलाजिस्ट प्रोग्राम मैनेजर विवेक तुमसरे को दी है।

चार चरणों मे होगी पूरी बाघ गणना
डीएफओ मिश्रा के अनुसार अखिल भारतीय बाघ गणना 4 चरणों में होगी। पहले चरण में मैदानी सर्वेक्षण के दौरान बाघों और अन्य मांसाहारी वन्यजीवों के पद चिन्ह, मल, पेड़ों पर या जमीन पर उनके पंजों की खरोंच, उनके द्वारा शिकार किए शिकारों के अवशेष संकलित अथवा दर्ज किए जाते हैं। दूसरे चरण में सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग डेटा के साथ जोड़कर वन की क्षति, अवैध कब्जे, वन्यजीवों के कॉरिडोर और मानवीय दखलंदाजी का आकलन किया जाता है। तीसरे चरण में वन्य इलाकों की चयनित ग्रिडस में कैमरे से वन्यजीवों की निगरानी की जाती है। बाघों की खास धारियों के आधार पर उनकी पहचान कर कैप्चर-रिकैप्चर तकनीक से उनकी संख्या का अनुमान लगाया जाता है। चौथे चरण में सभी चरणों से प्राप्त आंकड़े अथवा जानकारियों का सांख्यकीय विश्लेषण कर अंतिम वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार की जाती है।

बाघ गणना के पहले 2 दिन तक मॉक ड्रिल
डीएफओ इंदौर प्रदीप मिश्रा के मुताबिक वैसे तो बाघ गणना के लिए वनमण्डल स्तरीय प्रशिक्षण तो पहले ही दिया जा चुका है। इसके बावजूद 11 और 12 दिसम्बर को यानी 2 दिन तक मॉक ड्रिल मतलब बाघ गणना का अभ्यास किया जाएगा। बाघ गणना के दौरान प्रशासनिक समन्वय मतलब एडमिनिस्ट्रेशन को-ऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी एसडीओ रालामण्डल योहान कटारा और तकनीकी समन्वय की जिम्मेदारी वनरक्षक प्रवीण मीणा को दी गए है।

वन्यजीवों पर मानव गतिविधियों के असर का वैज्ञानिक मूल्यांकन होता है
इंदौर वनमण्डल के मुख्य वनसंरक्षक और वनमंडलाधिकारी का कहना है कि बाघ गणना अथवा वन्यजीव सर्वेक्षण केवल बाघों की गिनती अथवा संख्या के आकलन तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे शाकाहारी वन्यजीव प्रजातियों की जंगलों में मौजूदगी पर मानव की गतिविधियों के होने वाले असर अथवा प्रभाव का होता है, वैज्ञानिक शोध अनुसंधान अथवा मूल्यांकन होता है।

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