
उज्जैन। चंबल नदी में वर्तमान समय में दो हजार 108 घडिय़ालों के साथ 878 मगरमच्छ और 96 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं। साल 1975 से 1977 तक विश्वव्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घडिय़ाल पाए गए थे, जिनमें 46 घडिय़ाल चंबल नदी के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छंद विचरण करते हुए मिले थे। उज्जैन जिले के नागदा-खाचरौद और महिदपुर से भी चंबल नदी निकलती है, हालांकि यहाँ मगरमच्छ और घडिय़ाल नहीं दिखते हैं लेकिन विशेषज्ञ यहाँ से भी रिपोर्ट लेंगे।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से बहने वाली चंबल नदी में मगरमच्छों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि तीन राज्य के जीव जंतु विशेषज्ञ ने चंबल नदी में गणना का सर्वे का काम शुरू कर दिया है। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। चंबल नदी मध्य प्रदेश सहित उज्जैन जिले के महिदपुर, नागदा-खाचरौद से भी निकलती है। बताया जा रहा है कि चंबल में सबसे ज्यादा घडिय़ाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुए पाए जाते हैं। चंबल नदी में वर्तमान समय में दो हजार 108 घडिय़ालों के साथ 878 मगरमच्छ और 96 डॉल्फिन समेत अन्य जलीय जीव हैं। साल 1975 से 1977 तक विश्वव्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घडिय़ाल पाए गए थे, जिनमें 46 घडिय़ाल चंबल नदी के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छंद विचरण करते हुए मिले थे। चंबल नदी के 960 किलोमीटर एरिया को राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभ्यारण्य वर्ष 1978 में स्थापित किया गया था। तभी से देवरी घडिय़ाल केंद्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अंडे निकालकर उनका लालन-पालन किया जाता है और तीन वर्ष बाद उन्हें चंबल में छोड़ दिया जाता है। चंबल नदी का सबसे अधिक एरिया 435 किलोमीटर मध्य प्रदेश की सीमा में आता है। चंबल नदी में जलीय जीवों की गणना का काम पहले मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के चंबल अभ्यारण के अधिकारी करते थे लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीनों राज्यों के जंतु विशेषज्ञों ने एक साथ जलीय जीवों की गणना का सर्वे का काम शुरू किया है। चंबल नदी में घडिय़ालों का परिवार लगातार बढ़ रहा है। इस मामले पर राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण के डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने बताया कि चंबल नदी में विचरण कर रहे जलीय जीव जन्तुओं का सर्वे 14 फरवरी से शुरू किया गया है और दस दिन में पूरा होगा। मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश से भी जीव जंतु विशेषज्ञ बुलाए हैं। साथ ही भारतीय वन्य जीव संस्थान और अन्य संस्थान के एक्सपर्ट भी मौजूद रहेंगे।
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