
इंदौर। 16 महीने पहले मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट को लेकर जो बैठक हुई थी, उसमें मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाली चौराहा से मेट्रो को अंडरग्राउंड करने के निर्देश दिए थे और कल की बैठक में खजराना चौराहा से अंडरग्राउंड करने की बात कही गई। मगर इस पर मैदानी काम तब ही शुरू हो पाएगा, जब शासन अधिकृत रूप से निर्णय लेगा और उसके बाद केन्द्र सरकार से भी अनुमति लेना पड़ेगी। तब तक तो मेट्रो का अंडरग्राउंड रूट वर्तमान की तरह अधर में ही रहेगा। यही कारण है कि कल अपर मुख्य सचिव से लेकर मेट्रो के एमडी ने रूट परिवर्तन को लेकर अधिकृत बयान नहीं दिया।
इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट एक मजाक बन गया है। दुनियाभर में 50 साल और उससे अधिक समय से अंडरग्राउंड मेट्रो धड़ल्ले से दौड़ रही है और नई दिल्ली का सफल मेट्रो प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां पर चावड़ी बाजार, चांदनी चौक, कनाट प्लेस से लेकर इंदौर से भी अत्यंत घने क्षेत्रों में मेट्रो प्रोजेक्ट लाया गया और आज लाखों यात्री सफर कर रहे हैं। यहां तक कि कल मंत्री विजयवर्गीय को भी मल्हारगंज स्टेशन के संबंध में कहना पड़ा कि वह यथावत रहेगा और दिल्ली मेट्रो की तरह नई तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, जिससे एक गमला भी नहीं हटाना पड़ेगा, जबकि पिछले दिनों मंत्री ने ही यह बयान दिया था कि मल्हारगंज स्टेशन की लोकेशन बदली जाएगी। कल ही बैठक में भी मेट्रो के एमडी एस. कृष्ण चैतन्य ने बताया कि अगर अंडरग्राउंड रूट में परिवर्तन किया जाता है तो 900 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त खर्च आएगा।
हालांकि मंत्री विजयवर्गीय ने कंसल्टेंट और आर्किटेक्ट को जमकर फटकार भी लगाई और कहा कि बापट चौराहा से सायाजी उनके कार्यकाल में खूबसूरत बनाया गया था, जिसमें चौराहों को विकसित करने के साथ पं. दीनदयाल उपाध्याय व अन्य की प्रतिमाएं भी लगाई गई। मगर मेट्रो के एलिवेटेड कॉरिडोर के चलते इस पूरे रोड का सत्यानाश कर दिया। अब मेट्रो का मतलब अंडरग्राउंड ही होना चाहिए। बैठक में मंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों की राय के मद्देनजर खजराना चौराहा से अंडरग्राउंड रुट शुरू करने की बात कही, साथ ही कुछ स्टेशनों में भी परिवर्तन करने को कहा, ताकि बढ़ी हुई लागत कुछ कम की जा सके। मंत्री विजयवर्गीय ने मीडिया से चर्चा करते हुए यह भी स्वीकार किया कि यह बात सही है कि मेट्रो का प्रोजेक्ट मेरे कारण लेट हुआ और अब आगे भी लेट होगा तो कोई चिंता नहीं। मगर भविष्य के यातायात और जनता को परेशानी ना हो, ऐसा निर्णय लेना पड़ेगा। खजराना से पलासिया होते हुए बड़ा गणपति तक के अंडरग्राउंड के प्रस्ताव को बैठक में सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई और मंत्री के मुताबिक, यह निर्णय इंदौर की आर्थिक वृद्धि और ट्रैफिक प्रबंधन के मामले में ऐतिहासिक साबित होगा। मगर इस मामले की दूसरी हकीकत यह है कि 900 करोड़ रुपए की जो लागत अधिक आएगी, उसे वहन करने का निर्णय शासन को अधिकृत रूप से लेना पड़ेगा। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद कैबिनेट निर्णय और फिर केन्द्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजना पड़ेगा। यानी फिलहाल अंडरग्राउंड रूट को लेकर अनिर्णय की स्थिति तब तक यथावत रहेगी।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved