
डेस्क: बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 2025 को लेकर वोटों (Votes) की गिनती जारी है. इस बार के चुनाव में अभी तक के जो रुझान सामने आए हैं, उसमें एनडीए बड़ी बढ़त के साथ चुनाव जीतती नजर आ रही है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अब तक 121 सीटों के रुझान आए हैं. अभी तक के आंकड़ों को देखें तो एनडीए की ओर से जेडीयू को 76, बीजेपी को 84, एलजेपी (आर) को 22 और हम 5 सीटों पर आगे है. महागठबंधन की ओर से आरजेडी 34, कांग्रेस 5, सीपीआई (एमएल) 7 और वीआईपी एक सीट पर आगे चल रही है.
अभी तक के जो रुझान सामने आए हैं उसने कांग्रेस को काफी निराश किया है. कांग्रेस ने इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में 61 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि उसे केवल 5 सीटें मिलती दिख रही हैं. कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर अब उनके नेता ही सवाल उठाने लगे हैं. पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के सीनियर नेता निखिल कुमार ने कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को संगठन की कमजोरी बताया है. उन्होंने कहा, जिन उम्मीदवार का चयन हुआ वो अच्छे उम्मीदवार हैं लेकिन और अच्छे उम्मीदवारों का चयन किया जा सकता था. ये पूरी तरह से संगठन फेलियर रहा है. गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है.
बिहार के अब तक के रुझान में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस को भारी बहुमत मिलता दिख रहा है. अभी तक भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की अगुवाई वाली एनडीए 190 से अधिक सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, महागठबंधन सबसे खराब प्रदर्शन करती हुई दिखाई दे रही है. महागठबंधन अभी तक 50 सीटों का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई है. महागठबंधन के सारे दल अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए दिख रहे हैं.
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह आपसी गुटबाजी बताई जा रही है. दरअसल, जैसे ही कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया था, उसके बाद ही बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. टिकट के दावेदारों ने कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. बागी हुए कांग्रेस नेताओं की इस नाराजगी को हाईकमान दूर नहीं कर पाई थी. इस गुटबाजी और आतंरिक कलह का खामियाजा उसे चुनाव नतीजों में उठाना पड़ा.
कांग्रेस की शर्मनाक प्रदर्शन की एक और बड़ी वजह RJD पर निर्भरता रही. तेजस्वी यादव की छत्रछाया में कांग्रेस ‘दो नंबर’ बनी रही. उसका पूरा चुनाव कैंपेन भी RJD और तेजस्वी यादव के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा. इसके अलावा कांग्रेस ने बिहार चुनाव में जिस SIR का मुद्दा उठाया था, वह भी लोगों को रास नहीं आया. राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया और वोटिंग से पहले कथित हाइड्रोजन बम फोड़ा था, लेकिन वह फुस्स हो गया.
बिहार चुनाव के ऐलान से ही महागठबंधन के दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर काफी समय तक खींचतान रही. कांग्रेस पिछली बार की तरह 70 सीट मांग रही थी, लेकिन आरजेडी 50 सीट ही देने पर अड़ी रही. इस वजह से कांग्रेस और आरजेडी के बीच काफी समय तक खींचतान चलती रही. आखिर में तय हुआ कि कांग्रेस 51 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 10 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी. इस फ्रेंडली फाइट ने भी कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ दिया.
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