
नई दिल्ली । अमेरिका (America)द्वारा 22 अक्टूबर को रूस की तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट(oil companies Rosneft) और लुकोइल पर प्रतिबंध(Sanctions on Lukoil) लगाने की घोषणा के बाद भारत (India)को रूसी तेल की आपूर्ति में तेज गिरावट(sharp decline) देखी जा रही है। वैश्विक कमोडिटी डेटा और एनालिटिक्स प्रदाता केपलर के अस्थायी टैंकर आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में रूस से भारत को कच्चे तेल के निर्यात का औसत 11.9 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो इससे पहले के दो सप्ताहों के 19.5 लाख बैरल प्रतिदिन से काफी कम है।
रॉसनेफ्ट और लुकोइल की आपूर्ति में भारी गिरावट
प्रतिबंधों का सीधा असर रूस की सबसे बड़ी दो कंपनियों- रॉसनेफ्ट और लुकोइल की आपूर्ति पर पड़ा है। रॉसनेफ्ट से भारत को तेल निर्यात 27 अक्टूबर तक के सप्ताह में घटकर 8.1 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया, जबकि पिछले सप्ताह यह 14.1 लाख बैरल प्रतिदिन था। लुकोइल की तरफ से तो इस अवधि में भारत को कोई भी तेल शिपमेंट दर्ज नहीं की गई।
रूस से भारत आने वाले तेल टैंकरों को सुएज नहर मार्ग से पहुंचने में लगभग एक माह का समय लगता है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अमेरिका द्वारा निर्धारित 21 नवंबर की अंतिम तारीख को ध्यान में रखते हुए पहले से ही कम शिपमेंट भेजे जाने का परिणाम है। तब तक पहले से कॉन्ट्रैक्ट की गई तेल की डिलीवरी भारतीय बंदरगाहों पर जारी रहेगी।
भारतीय रिफाइनरियों की प्रतिक्रिया
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत की रिफाइनरियों ने भी एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी ने पहले ही घोषणा की है कि वह रूसी तेल का आयात अस्थायी रूप से निलंबित करेगी। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करेगी, हालांकि कंपनी ने भविष्य के रूसी तेल आयात पर कोई सीधा बयान नहीं दिया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) भारत की कुल रूसी तेल आयात का लगभग आधा हिस्सा संभालती है। इसने कहा है कि वह सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार पूरी तरह से अनुपालन करेगी और प्रतिबंधों के प्रभाव का मूल्यांकन कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी सेकेंडरी सैंक्शन्स के डर से भारतीय कंपनियां और बैंक रूस से जुड़े किसी भी जोखिम भरे लेनदेन से दूरी बना रहे हैं।
क्यों घटेगी रूसी तेल की हिस्सेदारी
फिलहाल भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी लगभग 35% है। लेकिन अमेरिकी कदमों के बाद यह हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटने की संभावना है। प्रतिबंधों की घोषणा के बाद भारतीय रिफाइनरियों ने नवंबर की डेडलाइन से पहले ही रूसी तेल की डिलीवरी तेज कर दी। 21 नवंबर के बाद अधिकांश रिफाइनरियां प्रतिबंधित कंपनियों से आयात बंद कर देंगी। हालांकि रूस से कुछ तेल ‘अनसैंक्शनड इंटरमीडियरीज’ यानी असंवद्ध मध्यस्थों के जरिए आता रहेगा, लेकिन मात्रा में कमी रहेगी।” अमेरिकी ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल इन आर्थिक प्रतिबंधों को लागू करता है। अक्टूबर में भारत का औसत रूसी तेल आयात 16.2 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो सितंबर के 16.1 लाख बैरल के लगभग बराबर था।
दिसंबर–जनवरी में तेज गिरावट की संभावना
दिसंबर और जनवरी में रूसी तेल आयात में स्पष्ट गिरावट देखी जाएगी, क्योंकि रिफाइनरियां नए आपूर्ति स्रोत तलाशेंगी। हालांकि पूरी तरह से आयात बंद होने की संभावना नहीं है, क्योंकि रूस से तेल भारतीय बाजार के लिए अब भी किफायती है। जब तक भारत सरकार औपचारिक रूप से आयात पर रोक नहीं लगाती, तब तक रूसी तेल सीमित मात्रा में मध्यस्थ चैनलों से भारत आता रहेगा।
नए स्रोतों की ओर रुख
रूस के प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं से आयात कम होने की भरपाई के लिए भारतीय रिफाइनरियां अब पश्चिम एशिया, पश्चिम अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अमेरिका से अधिक तेल खरीदने की तैयारी कर रही हैं। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है और अपनी आवश्यकताओं का लगभग 88% हिस्सा आयात करता है।
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