
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) की नई H-1B योजना (New H-1B plan) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सैन फ्रांसिस्को (San Francisco.) की एक अदालत में यूनियनों, नियोक्ताओं और धार्मिक संगठनों के एक गठबंधन ने ट्रंप प्रशासन के आदेश को चुनौती दी है। यह मुकदमा राष्ट्रपति के उस आदेश को रद्द करने की मांग करता है, जिसमें H-1B आवेदन पर एकमुश्त 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख) की फीस लगाने का प्रावधान किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यह कदम गैरकानूनी है और H-1B कार्यक्रम में अभूतपूर्व बदलाव है। दलील दी गई है कि राष्ट्रपति के पास स्वतंत्र रूप से राजस्व जुटाने या कर लगाने का अधिकार नहीं है और न ही वह यह तय कर सकते हैं कि इन निधियों का उपयोग कैसे होगा।
मुकदमे में फीनिक्स डो नाम की एक भारतीय नागरिक का उदाहरण दिया गया है, जो उत्तरी कैलिफोर्निया में रहकर पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। उनकी संस्था ने ‘कैप-एक्ज़ेम्प्ट’ H-1B याचिका दायर की थी, लेकिन नई फीस नीति के कारण यह प्रक्रिया रोक दी गई है। याचिका के अनुसार, “फीनिक्स डो का शोध उम्र, डाइबिटीज और दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों से जुड़ी दृष्टि-हानि के कारणों को पहचानने और इलाज के नए तरीके विकसित करने पर केंद्रित है।”
मुकदमे में कहा गया है कि डो विश्वविद्यालय की पहली पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलर हैं, जिन पर संस्था का भविष्य का शोध और फंडिंग निर्भर करता है। लेकिन नई नीति के चलते उनका आवेदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। याचिका में आगे कहा गया, “वह अस्थिरता और तनाव से जूझ रही हैं, जिससे उनका PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) बढ़ गया है। यदि राहत नहीं मिली तो उन्हें चार महीने में अमेरिका छोड़ना पड़ेगा, जिससे उनके करियर और निजी जीवन दोनों को गंभीर नुकसान होगा।”
मुकदमे में कहा गया है कि नई नीति से अमेरिका के वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को झटका लगेगा। फीनिक्स डो की विदाई से उनका शोधकार्य बाधित होगा, लैब का चल रहा काम रुकेगा, भविष्य की फंडिंग प्रभावित होगी और संभवतः दृष्टि रोगों के उपचार की दिशा में हो रही प्रगति भी धीमी पड़ जाएगी।
इस मामले को यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स, जस्टिस एक्शन सेंटर, डेमोक्रेसी फॉरवर्ड फाउंडेशन, ग्लोबल नर्स फोर्स और कई धार्मिक संगठनों ने मिलकर दायर किया है। इन समूहों का कहना है कि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) और स्टेट डिपार्टमेंट ने यह आदेश बिना उचित प्रक्रिया के लागू किया और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर विचार नहीं किया। याचिका में चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक शुल्क वसूलना नवाचार को रोक देगा और अमेरिका के वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक क्षेत्र को नुकसान पहुंचाएगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved